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बिहार : आश्रम के सेवादारों पर 3 साध्वियों के साथ दुष्कर्म का आरोप

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नवादा (बिहार), 12 जनवरी (आईएएनएस)| बिहार के नवादा जिले के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के एक आश्रम में तीन साध्वियों के साथ दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया है। दुष्कर्म का आरोप आश्रम के ही सेवादारों पर लगाया गया है। मामले के प्रकाश में आने के बाद सभी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, बहियारा मोड़ के समीप स्थित संत कुटीर आश्रम की तीन साध्वियों ने गोविंदपुर थाना में सेवादारों पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि 12 दिसंबर 2017 की रात 10 बजे जब वे खाना पका रही थीं, तभी कई सेवादार हथियारों के बल पर रसोईघर में प्रवेश कर गए और उन सभी को जबरदस्ती एक कमरे में ले गए और उनके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया गया।

इस घटना के बाद घबराईं और डरी पीड़िताएं अपने-अपने घर वापस लौट गईं, लेकिन बाद में अन्य लोगों द्वारा हिम्मत दिए जाने के बाद चार जनवरी को गोविंदपुर थाना में इस मामले की एक प्राथमिकी दर्ज कराई।

गोविंदपुर के थाना प्रभारी रवि पासवान ने शुक्रवार को बताया कि दर्ज प्राथमिकी में पांच लोगों कल्पनाथ चौधरी, गिरिजा शंकर चैधरी, तपस्यानंद उर्फ श्याम चौधरी, अजीत चौधरी (सभी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के निवासी) और दिलचंद पटेल (महुआडीह, उत्तर प्रदेश) को नामजद किया गया है, जबकि पांच अन्य अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।

उन्होंने बताया कि पीड़िताओं में से एक बिहार की, जबकि दो अन्य राज्यों की रहने वाली हैं। पासवान ने बताया कि गुरुवार को पीड़ित साध्वियों का बयान अदालत में दर्ज करवाया गया तथा आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी आरोपी अन्य राज्य के रहने वाले हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया गया है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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