नेशनल
श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान रामदेव धुरंधर को
नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)| उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2017 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ बुधवार को मारीशस के वरिष्ठ कथाकार रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार साहित्यकार गिरिराज किशोर ने प्रदान किया। प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षो को मुखरित किया गया हो। मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल एवं कमलाकान्त त्रिपाठी को प्रदान किया गया है।
धुरंधर का चर्चित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ छह खंडों में प्रकाशित है। अपने इस महाकाव्यात्मक उपन्यास में उन्होंने किसानों-मजदूरों के रूप में भारत से मारीशस आए अपने पूर्वजों की संघर्षमय जीवन-यात्रा का कारुणिक चित्रण किया है।
उन्होंने ‘छोटी मछली बड़ी मछली’, ‘चेहरों का आदमी’, ‘बनते बिगड़ते रिश्ते’, ‘पूछो इस माटी से’ जैसे अन्य उपन्यास भी लिखे हैं। ‘विष-मंथन’ तथा ‘जन्म की एक भूल’ उनके दो कहानी संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त उनके अनेक व्यंग्य संग्रह और लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हैं।
साहित्यकार एवं सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने रामदेव धुरंधर का चयन बंधुआ किसान मजदूरों के जीवन संघर्ष पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है।
इस सम्मान से पुरस्कृत साहित्यकार को पुरस्कार स्वरूप एक प्रतीक चिह्न्, प्रशस्तिपत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि आज के समय कृषि और किसानों के जीवन पर लिखने वाले कम ही लेखक हैं। ऐसे में मॉरीशस की धरती पर मजदूर किसानों के आत्र्त स्वर को अपनी लेखनी से मुखरित करने वाले रामदेव धुरंधर धन्यवाद के पात्र हैं। उनका विपुल साहित्य पूरी तरह किसानों के जीवन पर केन्द्रित है, विशेष रूप से छह खंडों में प्रकाशित उनका उपन्यास ‘पथरीला सोना’ अपने आप में एक महाख्यान है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गिरिराज किशोर ने कहा कि धुरंधर जी का पूरा साहित्य किसानों और मजदूरों के जीवन को समर्पित है। विशिष्ट अतिथि के तौर पर मॉरीशस उच्चायोग के प्रथम सचिव वी चिट्टू मौजूद थे।
कार्यक्रम के अगले सत्र में ‘मुखामुखम’ के तहत वरिष्ठ प्रोड्यूसर इरफान ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पुरस्कृत लेखक रामदेव धुरंधर का साक्षात्कार लिया।
इस अवसर पर नाटक, कवि सम्मेलन और ‘कला-साहित्य प्रदर्शनी’ का भी आयोजन किया गया।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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