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प्रादेशिक

बिहार में खास परंपरा ‘कुर्ता फाड़ होली’

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पटना| देश के अलग-अलग हिस्सों में होली की अपनी परंपरा है। ब्रज के एक इलाके में लठ्ठमार होली तो दूसरे इलाके में होली की अलग आकर्षक परंपरा चली आ रही है। ऐसे में बिहार में होली के एक चलन ने अपना ही रंग जमा लिया है। यह चलन है ‘कुर्ता फाड़ होली’ का। मजेदार है कि होली की यह परंपरा मर्दो तक ही सीमित नहीं है और न ही यह किसी खास वर्ग की परंपरा है। बिहार में होली के गायन की अपनी परंपरा रही है और यह वर्ग और क्षेत्र के हिसाब से बंटती चलती रही है। होली गीतों के गायन से क्षेत्र विशेष के लोगों के बीच परंपराओं की जानकारी मिल जाती है। ऐसे में होली खेलने में कहां अंतर था। एक अंतर बिहार में शुरू से ही रहा है, वह है अलग-अलग समय में अलग-अलग चीजों से होली खेलना।

कुर्ता फाड़ का खेल पहले सीमित रहा। सुबह में कादो (कीचड़) का खेल चला करता था। इसमें कीचड़ के साथ गोबर का मिश्रण बनाया जाता था, जिससे होली खेली जाती थी। सुबह 10 से 11 बजे तक इस होली का चलन था। इसी क्रम में कपड़े शरीर से अलग किए जाते थे, ताकि कीचड़ से पूरा शरीर रंगा हुआ नजर आए। दो समूहों में बंटे लोग एक-दूसरे पर इसे आजमाते थे।

इसके बाद समय शुरू होता था रंग का। इसमें दांतों को रंगना बहुत महत्वपूर्ण था। रंगने वाला विजेता और जिसका रंगा गया वह पराजित। फिर गालियों का दौर शुरू होता था। समवेत गायन में गालियां गाई जाती थीं। रंगों का दौर दोपहर बाद दो बजे खत्म होता था और तब गुलाल का दौर शुरू होता था और होली गायन का।

बदलते समय में गायन खत्म हो गया है पर कुर्ता फाड़ होली जिंदा है, क्योंकि लालू प्रसाद के समय में इस परंपरा को काफी तूल मिला और प्रचार भी। आज यह अपने शबाब पर है और इसे सभी आजमाते हैं।

पटना के 65 वर्षीय बुजुर्ग वृजनंदन प्रसाद ने कहा कि अगर सरल शब्दों में कहें तो दिवाली हमारे घर की सफाई का पर्व है तो होली हमारे मन की सफाई का पर्व है।

उन्होंने कहा कि होली का वास्तविक शुरुआत फाल्गुन महीने के प्रारंभ में ही हो जाती है। होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन के दौरान आसपास के कूड़े का अंत हो जाता है तो वर्ष का प्रारंभ होता है रंग और गुलाल की धमाचौकड़ी से।

पटना के युवक आशीष का मानना है कि इस नए वर्ष के स्वागत के लिए सभी पुरुष, महिला, बच्चे मस्ती में झूम जाते हैं। चारों ओर गीत-संगीत और मस्ती का माहौल होता है।

बिहार में बुढ़वा होली मनाने की भी अपनी परंपरा है। होली के दूसरे दिन भी लोग कई इलाकों में बुढ़वा होली खेलते हैं। इस दिन लोगों की मस्ती दोगुनी होती है।

 

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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