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कृषि मूल्य आयोग को पूर्ण स्वायत्ता देने में हिचक क्यों : अन्ना हजारे

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नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)| गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 11 मांगें पूरी माने लेने के केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भले ही अनशन तोड़ दिया हो, लेकिन उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर आश्वासन के अनुरूप तय समय-सीमा में मांगें पूरी नहीं की गईं तो वह दोबारा रामलीला मैदान में आ धमकेंगे और फिर से आंदोलन करेंगे।

अन्ना कहते हैं कि किसानों के हित के लिए कृषि मूल्य आयोग लंबे अरसे से बना हुआ है, लेकिन उसे पूर्ण स्वायत्ता अब तक नहीं दी गई। आयोग में सरकार के हस्तक्षेप का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसान फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलने से सबसे ज्यादा पीड़ित है। कृषि मूल्य आयोग को स्वायत्ता मिल जाएगी तो किसानों को फसलों के दाम को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। समझ नहीं आता, सरकार हिचक क्यों रही है?

अन्ना (80) ने रामलीला मैदान में अनशन तोड़ने से पहले आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, अजीब विडंबना है कि कृषि प्रधान देश में किसानों को ही आंदोलन के जरिए अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखना पड़ता है। भूखा रहना किसे पसंद है, लेकिन किसानों को अनशन करना पड़ता है, ताकि उनके बच्चों का पेट भर सके।

वर्ष 2011 के आंदोलन में उमड़ी भीड़ की तुलना में इस बार के सत्याग्रह आंदोलन में केजरीवाल सहित तमाम नेताओं की गैरमौजूदगी के सवाल पर अन्ना ने कहा, मैं शुरू से ही राजनीति में जाने के खिलाफ रहा हूं। यह अनशन, यह मंच किसानों का है। हमने आंदोलन की 20 सदस्यीय राष्ट्रीय कोर समिति के सदस्यों से पहले ही एफिडेविट पर साइन करा लिए थे कि वे किसी भी पार्टी में न तो शामिल होंगे और न ही किसी नई पार्टी का गठन करेंगे।

अन्ना ने लोकपाल कानून और लोकायुक्त की नियुक्ति, किसानों की फसल का वाजिब दाम मिलने और चुनाव सुधारों की मांगों को लेकर 23 मार्च को सत्याग्रह शुरू किया था।

अन्ना कहते हैं, हमारी बहुत बड़ी मांगें नहीं हैं, जो सरकार पूरा नहीं कर सकती। हम चाहते हैं कि कृषि संकट से निपटने के लिए एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। कृषि पर निर्भर 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को सरकार की ओर से हर माह 5,000 रुपये पेंशन मिले। कृषि मूल्य आयोग को तुरंत पूर्ण स्वायत्ता मिलनी चाहिए। कृषि फसल के सामूहिक बीमा के बजाए व्यक्तिगत बीमा करना शुरू हो। लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 44 और 63 में संशोधन हो। वोटों की गिनती के लिए टोटलाइजर मशीन का इस्तेमाल हो।

सरकार द्वारा आंदोलन को गंभीरता से नहीं लेने के सवाल पर अन्ना कहते हैं, अगर सरकार किसानों को गंभीरता से नहीं लेगी तो फिर देश की जनता भी उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर देगी। जो सरकार अन्नदाता का ख्याल नहीं रख सकती, उसे सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है।

अन्ना केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, सरकार कारोबारियों के बारे में जितना सोचती है, उसका यदि दो प्रतिशत भी किसानों के बारे में सोचे तो काफी हद तक किसानों की समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

इस बार के बजट में कृषि और किसानी को खास तवज्जो दिए जाने के सवाल पर अन्ना हजारे कहते हैं, सिर्फ कहने भर से कुछ नहीं होता। कहने को तो किसानों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया गया है, लेकिन उसे लागू कैसे और कब से किया जाएगा, इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है। सिर्फ पैसा आवंटित कर देने से किसी का भला हुआ है क्या?

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नेशनल

केरल के कन्नूर जिले में चोरों ने व्यवसायी के घर से उड़ाए एक करोड़ रुपये, सोने के 300 सिक्के

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कन्नूर। केरल के कन्नूर जिले में चोरों के एक गिरोह ने वालापट्टनम में एक व्यवसायी के घर से एक करोड़ रुपये की नकदी और सोने की 300 गिन्नियां चुरा लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।पुलिस के मुताबिक चोरी की यह घटना उस समय हुई जब व्यवसायी और उसका परिवार एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के मदुरै गए हुए थे। उन्होंने बताया कि चोरी का पता तब चला जब रविवार रात को व्यवसायी का परिवार घर लौटा और लॉकर में रखा कीमती सामान गायब पाया।

सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घर के सभी लोग 19 नवंबर से ही घर से बाहर थे। और संदेह है कि चोरों ने रसोई की खिड़की की ग्रिल काटकर घर में प्रवेश किया। सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा जा सकता है।

चोरों को लिए गए फिंगरप्रिंट

पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि नकदी, सोना और अन्य कीमती सामान आलमारी में बंद करके रखे गए थे। इसकी चाबी दूसरे कमरे में रखी गई थी। पुलिस और ‘फिंगरप्रिंट’ (अंगुलियों के निशान) लेने वाले विशेषज्ञों की एक टीम घर पहुंची और सुबूत एकत्र किए तथा आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है।

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