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IANS News

नए, युवा कवियों को मौका देती है ‘कविशाला’

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नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)| नए और युवा कवियों को अपने लिए अवसर ढूंढने में काफी जद्दोजहद से करनी पड़ती है। आज डिजिटल दौर में यह और भी मुश्किल है, जहां पत्रिकाएं सिमट कर रह गई हैं। ऐसे में युवा कवि अंकुर मिश्रा ने युवा कवियों के लिए एक नया मंच कविशाला पोर्टल की शुरुआत की है। कविशाला में देशभर के 10,000 से ज्यादा कवि अपनी कविताएं साझा करते हैं। इन कवियों की 50 हजार से ज्यादा कविताओं का संग्रह कविशाला पर है।

नए कवियों को मौका देने वाले पोर्टल कविशाला के संस्थापक अंकुर मिश्रा ने कहा, आज से डेढ़ साल पहले जब मैंने कविशाला की शुरुआत की थी तब देश में कुछ गिने चुने ग्रुप्स थे जो कभी कभार नए कवियों के लिए छोटे-छोटे इवेंट कर लिया करते थे, मगर मैंने जो बदलाव पिछले एक साल में देखा है, वह वास्तव में सराहनीय है।

अंकुर का कहना है कि लोगों का कविताओं के लिए बाहर आना और नए-नए प्रयोग करना युवाओं के लिए लाभदायक साबित हो रहा है, लेकिन इन्हीं सब के बीच कुछ ऐसे ग्रुप भी सामने आ रहे हैं, जो साहित्य के नाम पर जाने क्या-क्या जनता के सामने परोस रहे हैं। इन चीजों से साहित्य को बड़ा खतरा भी है। वह कहते हैं कि व्यापार और साहित्य कभी भी साथ-साथ नहीं चल सकते। एक अच्छे साहित्य को आप (साहित्य में) व्यापार के साथ आगे नहीं बढ़ा सकते हैं।

अंकुर मिश्रा उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव जिटकरी से आते है और गुड़गांव में रहते हैं। वह उद्यमी, लेखक, कवि, इंजीनियर, मार्केटियर, सोशल एक्टिविस्ट और फोटोग्राफर हैं। इसके साथ ही वह एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी फोरेंटेक के फाउंडर और सीईओ हैं। वह ‘लव इज स्टील ़फ्लर्ट’ नाम का एक उपन्यास लिख चुके हैं। वह तीन कविता संग्रह- ‘क्षणिक कहानियों की विरासत’, ‘नई किताब’ और ‘कविशाला’ लिख चुके हैं।

अंकुर ने कोई डेढ़ साल पहले मई 2016 में अपना खुद का काम डिजिटली सेव करने के लिए एक वेबसाइट बनाई। अपने दोस्तों से शेयर की। कुछ ही दिनों में लोग पूछने लगे कि ‘क्या हमारी कविताओं को भी इस वेबसाइट पर जगह मिल सकती है, फिर सिलसिला चल निकला नए-नए कवियों के जुड़ने का।’

वह कहते हैं कि कविशाला की शुरुआत के पीछे मेरा मकसद नए और छिपे हुए साहित्य को बाहर निकालकर इंटरनेट पर लेकर आना है, जिसके जरिये वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच पाएं। इस काम में कविशाला काफी हद तक आगे भी बढ़ी है।

कविशाला जमीनी स्तर पर जाकर देश के गांव, कस्बों और शहरों में काम करती है। वहां रह रहे लोगों के लिए एक प्लेटफार्म बनाती है जिससे उनके अंदर के विचार बहार निकल कर आ सके और उनके अंदर एक आत्मविश्वास जग सके।

कविशाला मुंबई से लेकर झांसी, जयपुर से लेकर दिल्ली, गुड़गांव से लेकर रायपुर, उदयपुर, लखनऊ, रीवा, हमीरपुर जैसे 35 ज्यादा स्थानों में हर महीने मिलन सम्मेलन कराती है और इससे निकलने वाले अच्छे कवियों और लेखकों को उनका उपर्युक्त स्थान दिलाने का प्रयास किया जाता है।

अंकुर कहते हैं कि उनकी वेबसाइट कविशाला हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी के अलावा देश की अलग-अलग भाषाओं के लेखकों और कवियों से जुड़ने का प्रयास कर रही है। जल्द ही इसमें देश की अलग अलग भाषाओं के लोग अपनी कविताएं साझा कर सकते हैं। इसमें प्रमुख रूप से बांग्ला, तेलुगू, मराठी, तमिल, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी भाषाएं शामिल हैं। इसके अलावा इसमें उत्तर प्रदेश की भाषाएं, अवधी, बुंदेलखंडी और भोजपुरी भी शामिल होगी।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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