लाइफ स्टाइल
गर्मियों में बदलेगा फैशन स्टेटमेंट
नई दिल्ली। गर्मी के मौसम को फैशन के लिहाज से बेहद अनुकूल माना जाता है। इसलिए डिजाइनर विशेष रूप से गर्मियों में अपने सर्वोत्तम परिधान संग्रह पेश करने के लिए सालभर कड़ी मेहनत करते हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदलते फैशन ट्रेंड, रंगों के चयन व युवाओं की पसंद को ध्यान में रख सर्वोत्कृष्ट डिजाइन तैयार करते हैं। इस बार गर्मियों के लिए भारतीय-यूरोपीय शैली के परिधानों को तवज्जो दी जा रही है। परंपरागत पोशाकों में अनारकली सूट को पाश्चात्य शैली के साथ तैयार किया है। इस बार गर्मियों में क्रेज काफ्तान सूट की मांग अधिक रहने वाली है। वहीं, पुरुषों के लिए डिजाइनर चश्मों से लेकर बेल्ट और जूतों की श्रृंखला बाजार में उतारने की तैयारी है।
एक समय था, जब फैशन का केंद्र महिलाएं हुआ करती थीं, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। पुरुष भी महिलाओं की भांति फैशन को लेकर सजग हो गए हैं। शायद इसीलिए पुरुषों के लिए भी विशेष संग्रह पेश किए जा रहे हैं। इसी का सशक्त प्रमाण है कि हाल ही में नई दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित फैशन डिजाइनर प्रदर्शनी में सिर्फ महिलाओं ने ही नहीं, बल्कि पुरुषों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
प्रदर्शनी में मौजूद 25 वर्षीय विपिन अरोड़ा कहते हैं, “फैशन मेरे लिए सब कुछ है। आप यह नहीं कह सकते कि सिर्फ महिलाएं ही फैशन को लेकर सजग रहती हैं। मेरे जैसे कई युवा हैं जो पैंट, शर्ट या जींस तक ही खुद को सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि राल्फ लॉरेन पैंट और कोरोना ब्रोर्ड शॉर्ट्स के साथ खुद को ट्रेंडी दिखाना पसंद करते हैं।” महिलाओं और पुरुषों में परिधानों के चुनाव का तरीका भी बदल रहा है। आजकल अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के फैशन को अपनाने का भी चलन बढ़ गया है।
युवा फैशन डिजाइनर ऋतु लांबा कहती हैं कि आजकल युवा महिलाएं रिहाना, केटी पेरी, जेनिफर लॉरेंस और क्रिस्टन स्टुअर्ट जैसा दिखना चाहती हैं। 2014 में पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड में जेनिफर लॉरेंस की पोशाक की बहुत मांग रही है। हमने ग्राहकों की मांग पर उससे प्रेरित कई पोशाकें तैयार की हैं।
युवा फैशन डिजाइनर शुभानी तलवार का मानना है कि गर्मी के मौसम को फैशन के लिहाज से एकदम सटीक माना जाता है। शुभानी ने आईएएनएस को बताया, “गर्मी के मौसम में डिजाइनर अपनी प्रतिभा को बेहतर तरीके से पेश कर सकता है। गर्मी में छोटे से लेकर लंबे सभी तरह से पोशाकों को तैयार किया जा सकता है। इस मौसम में लगभग सभी रंग या मिश्रित रंग आंखों को सुकून देते हैं।”
शुभानी डिजिटल छपाई वाले परिधानों में पारंगत हैं। वह सामान्य छपाई की तुलना में इसे बेहतर मानती हैं। उनके मुताबिक, डिजिटल छपाई में रंगों पर कोई बंदिश नहीं होती। सामान्य छपाई में आप एक पोशाक में सिर्फ नौ रंगों को शामिल कर सकते हैं, लेकिन डिजिटल छपाई में एक पोशाक में एक साथ 50 रंगों को समेटा जा सकता है।
इस तरह आज फैशन सिर्फ अच्छा दिखने तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अपनी सामाजिक स्थिति को पेश करने का जरिया भी बन गया है।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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