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आपके घर में कुछ अदृश्य है जो आपकी सेहत को पहुंचा सकता है भारी नुकसान

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नई दिल्ली। भारत में इनडोर प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है धुआं, जो खाना बनाने और गर्मी उत्पन्न करने के लिए लकड़ी, गाय के गोबर और लकड़ी का कोयला जलाने से उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य पर इनके कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं। इसके अलावा छतों व टाइल्स जैसी निर्माण सामग्री में प्रयुक्त एस्बेस्टस और ग्लास फाइबर, रॉक वूल, सिरेमिक फाइबर में उपस्थित फाइबर्स से फेफड़ों का कैंसर और मेसोथेलियोमा हो सकता है।

लैन्सेट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण से भारत में 18 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह दुनिया में सबसे ज्यादा दर्ज की गई संख्या थी। इनमें से 5 प्रतिशत से अधिक की मौत घरेलू प्रदूषण के कारण हुई।

धुएं में मौजूद बारीक कण, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषकों के सांस में जाने से लोगों को सीओपीडी का जोखिम हो सकता है। यह मामला विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित है, क्योंकि रसोई में ज्यादातर समय वे ही जैवीय ईंधन का उपयोग करती हैं। घरेलू चीजें और निर्माण सामग्री भी समस्या को बढ़ाती है।

फॉर्मेल्डिहाइड एक ज्ञात ह्यूमन कार्सिनोजन है, जो पेंट, लकड़ी के लेमिनेशन और वाल कवरिंग से निकलता है।

चेस्ट एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट (आईसीयू) तथा इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. कैलाश नाथ कहते हैं, स्वास्थ्य पर इनके कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे नेत्रों, नाक और गले में जलन, मतली तथा लिवर, किडनी और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में क्षति। इसके अलावा, घरों के भूमिगत हिस्से में स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली रैडॉन गैस मौजूद हो सकती है, जो रेस्पिरेटरी एपिथेलियम के सेल्यूलर डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है। यहां तक कि हानिरहित प्रतीत होने वाली धूल यदि बड़ी मात्रा में मौजूद हो तो अस्थमा पैदा कर सकती है। इस प्रकार प्रत्येक घर में, उसमें रहने वालों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है और संभवत: कोई भी घर इस जोखिम से मुक्त नहीं है।

कई घरेलू चीजों जैसे फर्निशिंग, प्रिंटर, गोंद, पेंट, पेंट स्ट्रिपर्स, वुड प्रजर्वेटिव्स, एयरोसोल स्प्रे, क्लीनर और दरुगधनाशक, मॉथ रिपेलेंट और एयर फ्रेशनर, ईंधन और मोटर वाहन उत्पादों व कीटनाशकों आदि से वाष्पशील कार्बनिक यौगिक निकलते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बिना धुएं वाले घरेलू प्रदूषकों से बचाव के जांचे-परखे और किफायती समाधानों का अभी भी अभाव है। घरों में धुआंरहित प्रदूषकों के साथ काम करते समय उचित वेंटिलेशन को ही अक्सर प्रस्तावित किया जाता है, लेकिन दिल्ली जैसे स्थानों में यह पर्याप्त उपाय नहीं हो सकता, जहां आउटडोर प्रदूषण बहुत अधिक है।

अन्य समाधान ऐसे उत्पादों के बेहतर विकल्पों का चुनाव करना है, जो ऐसे प्रदूषक छोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, पारंपरिक पेंटों की जगह पौधों पर आधारित डेरिवेटिव और जल-आधारित पेंटों का प्रयोग करना। हालांकि, वर्तमान में उपलब्ध विकल्पों की संख्या बहुत सीमित है।

प्रदूषण को साफ करते चलना एक और समाधान है। हाल ही में, कई मध्यमवर्गीय और उच्चवर्गीय भारतीयों को एयर प्योरिफायर रास आ रहे हैं। हालांकि, इनमें से अधिकतर महंगे हैं, जैसे कि 677 वर्ग फीट हवा को शुद्ध करने वाले एयर प्योरिफायर की लागत लगभग 10,000 रुपए है और एयर प्योरिफायर के प्रभावकारी होने की अभी तक जांच नहीं हो पाई है। बाजार में उपलब्ध एयर प्योरिफायर का स्तर जांचने के लिए अभी कोई मानक उपलब्ध नहीं है।

इनपुट आईएएनएस

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वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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