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पापा से किया वादा पूरा कर खुश हूं : मुक्केबाज गौरव
नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)| आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में जाने से पहले भारतीय मुक्केबाज गौरव सोलंकी ने अपने पिता से वादा किया था कि वह सोने का तमगा लेकर लौटेंगे। अंतत: गौरव अपना वादा पूरा सके और गले में स्वर्ण पदक लेकर ही लौटे।
भारत लौटने के बाद हरियाणा के युवा मुक्केबाज गौरव ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि उन्हें पूरा भरोसा था कि वह अपने पिता से किया हुआ वादा पूरा कर पाएंगे और जबकि वह अपना वादा पूरा करने में सफल रहे हैं, उन्हें इसकी काफी खुशी है।
गौरव ने मुक्केबाजी में पुरुषों की 52 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा के फाइनल में उत्तरी आयरलैंड के ब्रेंडन इर्वाइन को 4-1 से मात देते हुए सोने का तमगा हासिल किया था। गौरव पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले रहे थे और पहली बार में ही उन्होंने सोने पर निशाना साधा।
बकौल गौरव, बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने जो वादा किया था वो पूरा कर सका। मुझे मेरी मेहनत पर विश्वास था। मैंने काफी मेहनत की थी और तैयारी अच्छे से की थी और उसी के दम पर मुझे विश्वास था कि मैं स्वर्ण से कम कुछ नहीं जीतूंगा।
पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर भिवानी के इस मुक्केबाज ने कहा, मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था। भारत के बाकी के मुक्केबाज अनुभव और उम्र के मामले में मुझसे आगे थे। मैं सबसे छोटा था। मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था। मैं फ्री होकर खेल सकता था और मैंने ऐसा ही किया।
मुक्केबाजी में कदम गौरव ने अपने ही शहर के दिग्गज मुक्केबाज विजेंदर सिंह को देख कर रखा। खेल में अपने प्ररेणा स्त्रोत के बारे में पूछे जाने परे गौरव ने कहा, विजेंदर जैसे खिलाड़ियों को टीवी पर देखते तो लगता था कि एक दिन मुझे भी यहां तक जाना है।
हर किसी खिलाड़ी की तरह गौरव भी अपने गले में ओलम्पिक पदक देखना चाहते हैं। वो जानते हैं कि उन्हें इसके लिए काफी मेहनत करनी है और इसके लिए वो तैयार भी हैं।
उन्होंने कहा, अभी एक ओलिम्पक पदक विजेता बनने के लिए काफी सुधार करना है। बहुत कमियां हैं जिन पर काम करने की जरूरत है। मुझे अपनी स्ट्रेंथ पर काम करना है और ताकत बढ़ानी है।
राष्ट्रमंडल खेलों के बाद अब हर खिलाड़ी के लिए एशियाई खेल बड़ी चुनौती है। गौरव भी इस बात को जानते हैं। वो चाहते हैं कि खेलों से पहले उन्हें देश के बाहर जा कर खेलने और अभ्यास करने का मौका मिले।
उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि मौके मिले। बाहर जा कर बाहर के खिलाड़ियों के खिलाफ खेलूं। उससे मुझे अच्छी प्रतिस्पर्धा मिलेगी और एक तरह का अलग आत्मविश्वास भी मिलेगा।
गौरव मानते हैं इस समय भारत के मुक्केबाज बाकी देशों के मुक्केबाजों से बेहतर हैं और इसका कारण हालिया दौर में मुक्केबाजी महासंघ का गठन होना है जो चार साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।
बकौल गौरव, अभी देखा जाए तो भारत काफी आगे है। बाकी के देश भी मुक्केबाजी में भारत को इस समय बेहतर मानते हैं और जब से फेडरेशन आई है खेल का स्तर काफी ऊपर गया है। इस समय बाकी देशों को भारत के खिलाफ होने वाले मुकाबले से पहले सोचना पड़ता है।
राष्ट्रमंडल खेलों में गौरव को ज्यादा कठिनाई नहीं हुई उनके अधिकतर मुकाबलों में एकतरफा जीत मिली। अपने प्रतिद्वंदियों के बारे में गौरव ने कहा कि वो सभी अपने देश को शीर्ष मुक्केबाज थे, लेकिन उनकी तैयारी ही इतनी अच्छी थी की उन्होंने अपने विपक्षियों को एकतरफा मात दी।
उन्होंने कहा, विपक्षी खिलाड़ी कोई भी हल्का नहीं होता। वो सब अपने देश के शानदार खिलाड़ी थे। मैंने तैयारी ही ऐसी की थी। मैंने जाने से पहले अपने विपक्षी खिलाड़ियों के वीडियो देखे थे और उनके खिलाफ कैसे खेलना या क्या रणनीति के साथ जाना यह सब तैयार करके गया था।
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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया
दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।
फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।
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