Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

IANS News

‘मुख्यधारा सिनेमा पलायनवाद, क्षेत्रीय सिनेमा यथार्थवाद है’

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में जन्मे और फिर मुंबई में रह रहे एक लद्दाखी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले प्रवीण मोरछले का मानना है कि सिनेमा की शक्ति जो यथार्थवाद है, वह सांस्कृतिक रूप से जड़ों से जुड़ी व सार्वभौमिक है।

उनका कहना है कि मुख्यधारा का सिनेमा पलायनवाद है, जबकि क्षेत्रीय सिनेमा यथार्थवाद के बारे में है।

मोरछले ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, हिंदी सिनेमा एक वस्तु बनकर रह गया है। बाजार के हिसाब से मनोरंजन के नाम पर कहानियों के साथ छेड़छाड़ की जाती है। जब फिल्मों को वस्तु समझा जाता है, तो निवेश वसूल करने और लाभ कमाने के लिए एक व्यापार होना चाहिए। मैं अपने सिनेमा को संचार का एक माध्यम व उपकरण मानता हूं, क्योंकि मैं कुछ कहना चाहता हूं।

उन्होंने कहा, जिस तरह की घटनाए हो रही हैं, उसे देककर मैं नाखुश हूं..अपने आसपास मैं हर रोज जो देखता हूं, इससे मुझे दुख होता है। रोजमर्रा की जिंदगी का अवलोकन मेरी कहानियों का स्रोत हैं। मैं सिनेमा को महज मनोरंजन से कहीं बढ़कर मानता हूं।

प्रवीण ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के लिए सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ीं और सार्वभौमिक रूप से कही कई कहानियां हमेशा काम करती हैं और भाषा रुकावट नहीं बनती है। असमिया फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ को ले लीजिए..इसे कहीं भी देखकर इसका आनंद लिया जा सकता है।

रीमा दास की फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ वंचित वर्ग के कुछ बच्चों की कहानी है, जो तमाम दुश्वारियों के बीच भी खुशी तलाश लेते हैं। इस फिल्म ने 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता, जबकि प्रवीण की फिल्म ‘वॉकिंग विद द विंड’ ने सर्वश्रेष्ठ लद्दाखी फिल्म, बेस्ट साउंड डिजाइनर और बेस्ट रि-रिकॉर्डिग का पुरस्कार जीता।

इस बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में क्षेत्रीय फिल्मों की धूम रही। जूरी के अध्यक्ष शेखर कपूर ने कहा था कि हिंदी सिनेमा को क्षेत्रीय सिनेमा से बड़ी चुनौती मिल रही है, देश के कोने-कोने से निकलने वाली प्रतिभाओं से निपटना बॉलीवुड के लिए आसान नहीं है।

प्रवीण ने कहा, हमारे मुख्यधारा का सिनेमा पलायनवाद है। यह बस दर्शकों को वास्तविकता से दूर सपनों में ले जाने के बारे में है, जबकि हमारा क्षेत्रीय सिनेमा यथार्थवाद के बारे में है। ऐसे लोग हैं, जो सिनेमाघर नहीं जाना चाहते और जो जिंदगी वे हर रोज जी रहे हैं, उसे देखना चाहते हैं। हालांकि, दोनों के लिए गुंजाइश है।

‘वॉकिंग विद द विंड’ की कहानी लद्दाख के एक छोटे से गांव और 10 वर्षीय बच्चे के बारे में है, जो हिमालय के दुर्गम इलाके में रहता है। एक दिन गलती से वह अपने दोस्त का स्कूल में कुर्सी तोड़ देता है, वह अपने गांव में कुर्सी वापस लाने के लिए सात किलोमीटर का सफर तय करने का फैसला करता है, तो पहाड़ी इलाकों में गधे की सवारी कर यात्रा करना सामान्य से कहीं ज्यादा कठिन हो जाता है।

कुर्सी बच्चे के अंदर की जागृति की यात्रा का लक्षण है और हालात चाहे कैसे भी हो, बच्चे द्वारा सही काम करने के बच्चे के दृढ़ निश्चय को दर्शाता है।

Continue Reading

IANS News

टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

Published

on

Loading

 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

Continue Reading

Trending