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अन्तर्राष्ट्रीय

वेनेजुएला राष्ट्रपति चुनाव में अनियमितताओं की शिकायतें

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वेनेजुएला राष्ट्रपति चुनाव में कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कमी देखी गई तथा फिर से पद के लिए खड़े हुए राष्ट्रपति निकोलस मदुरो के विरोधी दलों ने अनियमितताओं की शिकायत की है।

समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, रविवार को मतदान के दौरान कराकस और देश के अंदरूनी भागों में सड़कें वीरान नजर आईं, जबकि कुछ ही मतदान केंद्रों में मतदाताओं की कतारें देखी गई।

रविवार को हुए चुनाव तथा पिछले चुनावों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि इस बार प्रमुख विपक्षी गठबंधन एमयूडी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया तथा मतदाताओं से मतदान का बहिष्कार करने का आवाह्न किया। इस मांग का कई लोगों पर असर नजर आया।

इस बीच, निकोलस मदुरो के दो प्रमुख विपक्षी, पूर्व गर्वनर हेनरी फाल्कन और पूर्व ईसाई पादरी जेवियर बेरटुकी ने मदुरो के प्रचार अभियान द्वारा मतदाताओं को खरीदे जाने समेत सैकड़ों स्थानों पर चुनाव के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

बेरटुकी ने कहा कि उनके पास चुनाव में 1,400 उल्लंघनों के दस्तावेजी सबूत हैं तथा सैंकड़ों वीडियो हैं। उन्होंने कहा कि वे इन सबूतों को मीडिया को सौंप देंगे।

चुनाव आयोग के अनुसार वेनेज़ुएला की आबादी करीब 3.20 करोड़ की है।

वेनेज़ुएला के पूर्व राष्ट्रपति उगो शावेज़ के सबसे क़रीबी लोगों में निकोलस मादुरो शामिल रहे हैं। अपनी ज़िंदगी के आख़िरी दिनों में कैंसर से पीड़ित शावेज़ को इलाज़ के लिए एक लंबा समय क्यूबा की राजधानी हवाना में बिताना पड़ा और मादुरो वह नेता थे जिन्होंने शायद उस दौरान क्यूबा में सबसे ज़्यादा वक्त बिताया। अपनी मौत से पहले शावेज़ ने मादुरो को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। शावेज़ की मृत्यु वर्ष 2012 में हुई थी। (इनपुट आईएएनएस)

अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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