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निरंतर शोर से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं

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नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)| शोर की वजह से होने वाले हृदय रोग की प्रक्रिया के विश्लेषण के अनुसार, यातायात और विमानों से उत्पन्न पर्यावरणीय शोर हृदय रोग के जोखिम कारकों को बढ़ाने के लिए, कोशिका स्तर पर शरीर को बाधित करता है। ध्वनि प्रदूषण मैटाबोलिक कठिनाइयों और ऑटोनोमिक असंतुलन का कारण बन सकता है, जिसमें चक्कर आने लगते हैं और व्यायाम करने में परेशानी होती है। शोर के एक्सपोजर से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। वाहनों ने निकलने वाले जहरीले धुएं के साथ मिश्रित धूल, फेफड़ों और हृदय रोगों को बढ़ा सकती है और दिल के दौरे, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी, फेफड़ों के संक्रमण और फेफड़ों व सांस की नली के कैंसर का खतरा रहता है।

हार्टकेअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, अनचाही आवाजों को शोर कहा जाता है। जोर का शोर 85 डीबी या उससे अधिक होता है यानी आवाज का वह स्तर जो तीन फीट दूर खड़े किसी व्यक्ति से बात करने के लिए उठाना पड़ता है। शोर एक जाना-माना पर्यावरणीय तनाव है, जिसमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव दोनों शामिल रहते हैं।

उन्होंने कहा कि यह चिंता, उच्च रक्तचाप, दिल के धड़कने की दर में वृद्धि, अनिद्रा, परेशानी, तनाव से जुड़ा हुआ है। इसके कारण सुनने में कठिनाई हो सकती है। 85 डीबी या उससे कम की आवाजों की सुरक्षित सीमा 8 घंटे का एक्सपोजर है। जोर का शोर होने से बात समझ में नहीं आती और परिणामस्वरूप परफॉर्मेस खराब हो जाती है और त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है। शोर होने पर, स्पष्ट रूप से अपनी बात कहने के लिए हाई पिच पर बोलना पड़ता है।

यातायात के अधिक शोर वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में शांत वातावरण में रहने वालों की तुलना में उदासीनता, अकेलेपन और डिप्रेशन का 25 प्रतिशत अधिक खतरा रहता है। इन्हें ध्यान केंद्रित करने में भी समस्या होती है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, अस्पतालों में भी काफी शोर होता है। रोगियों की भलाई और उपचार के लिए अस्पतालों में शोर के स्तर पर नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है। शोर डॉक्टरों के लिए एक अस्वास्थ्यकर वातावरण पेश करता है। यह एकाग्रता को प्रभावित करता है और गलतियों की संभावनाओं को बढ़ाता है, जो डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए महंगा पड़ सकता है। एक आईसीयू में सामान्य बैकग्राउंड में शोर होने पर न तो चेतावनी सुनी जा सकती है और न ही रोगी निगरानी अलार्म, जो कि संभावित रूप से विनाशकारी साबित हो सकता है। इसके अलावा, डॉक्टरों में भी हाई बीपी और स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

शोर प्रदूषण को कम करने की सलाह :

– स्कूलों और अस्पतालों के आसपास यातायात प्रवाह जितना संभव हो कम से कम किया जाना चाहिए।

– साइलेंस जोन और नो हॉकिंग लिखे हुए साइनबोर्ड इन क्षेत्रों के नजदीक होने चाहिए।

– दोपहिया वाहनों में खराब साइलेंसर और शोर करने वाले ट्रक तथा हॉर्न के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

– पार्टियों और डिस्को में लाउडस्पीकरों के उपयोग के साथ-साथ सार्वजनिक घोषणा प्रणालियों की जांच होनी चाहिए।

– शोर संबंधी नियमों को साइलेंस जोन के पास सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

– सड़कों के दोनों ओर और आवासीय क्षेत्रों के आसपास पेड़ लगाकर ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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