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बिजनेस

व्यापारियों की लगी लाटरी, सिर्फ 2900 रुपए में जीएसटी से मिले छुटकारा

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कारोबारियों की सुविधा के लिए ‘जोहो फाइनेंस प्लस’ एक प्लेटफार्म दिया गया है। इसकी मदद से व्यापारी जीएसटी प्रणाली के तहत रिटर्न आसानी से भर सकेंगे। इससे कारोबारियों को पूरी तरह इंटिग्रेटेड क्लाउड प्लेटफॉर्म मिलेगा जिससे वह अपने कारोबार या वित्त व्यवस्था का बेहतर ढंग से प्रबंधन कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्हें जीएसटी भरने में भी आसानी होगी।

जोहो के प्रोडक्ट मैनेजमेंट के डायरेक्टर शिवारामाकृष्णन ईश्वरन ने कहा कि जोहो फाइनेंस प्लस शुरुआत से अंत तक कारोबारियों को एकीकृत प्लेटफॉर्म मुहैया कराने की पेशकश करता है। इससे व्यापारियों के लिए किसी सामान का ऑर्डर देने और पूरा करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, अकाउंट में कोई गलती नहीं होगी और बिना किसी परेशानी के वह अपना वास्तविक टैक्स अदा कर सकेंगे।

ईश्वरन ने बताया, “जोहो फाइनेंस प्लस का लक्ष्य कारोबारियों को सिंगल प्लेटफॉर्म से अपने रोजमर्रा के ट्रांजैक्शन मैनेज करने और जीएसटी रिटर्न भरने के लिए बेहतरीन साधन मुहैया कराना है। जोहो फाइनेंस प्लस कारोबारियों के लिए रिटर्न भरना आसान बनाता है।”

उन्होंने बताया, “जोहो फाइनेंस प्लस पैकेज में जोहो बुक्स, जोहो एक्सपेंस, जोहो सबक्रिप्शंस और जोहो इंवेन्टरी शामिल किया गया है जिससे जोहो से जुड़ने वाले कारोबारियों या अन्य लोगों को एक ही मंच पर कई सुविधाएं मिल सके। इसमें केवल जोहो बुक्स की सुविधा लेने पर 2500 रुपए सालाना अदा करना पड़ेगा जबकि ‘जोहो फाइनेंस प्लस’ का पूरा पैकेज लेने पर करीब 2900 रुपए महीना अदा करना पड़ेगा।”

ईश्वरन ने कहा कि जोहो बुक्स ऑनलाइन जीएसटी अकाउंटिंग और इनवॉयसिंग का सबसे ताकतवर और इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर है। जोहो इनवॉयस फ्रीलांसरों और कारोबारियों के लिए आसान, साधारण और पारंपरिक इनॉयस बनाने का सॉफ्टवेयर है, जिससे उनका भुगतान समय पर हो सके। वहीं जोहो एक्सपेंस कंपनी के खर्च का हिसाब-किताब रखने वाला बेहतरीन समाधान है। इससे अपने आप ही कंपनी के कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के भुगतान का हिसाब-किताब दुरुस्त रहता है।

उन्होंने कहा कि जोहो सबक्रिप्शंस-सबक्रिप्शन बेस्ड बिजनेस के लिए बार-बार होने वाली बिलिंग की प्रक्रिया को ऑटोमैटिक बनाने का यह मजबूत समाधान है और जोहो इंवेन्टरी भारत में खुदरा विक्रेताओं के लिए प्रोडक्ट्स का प्रबंधन करने, स्टॉक खत्म होने पर ऑर्डर देने के लिए परफेक्ट सोल्यूशन है। (इनपुट आईएएनएस)

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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