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प्रादेशिक

छत्तीसगढ़ में बनेगी जल नीति

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रायपुर| छत्तीसगढ़ में पानी के उपयोग, प्रबंधन और संरक्षण को लेकर नीति बनाई जाएगी। नीति का निर्धारण आम लोगों के सहयोग से किया जाएगा। नीति निर्धारण करते वक्त पानी के वैज्ञानिक तरीके से उपयोग, पीने का साफ पानी, उद्योगों की जरूरत आदि से लेकर राज्य में प्रचलित पारंपरिक संरक्षण के उपायों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। यह फैसला छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग और कंजर्वेशन कोर सोसाइटी की ओर से हुई परिचर्चा जल संवाद के बाद किया गया।

छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा, ‘प्रदेश में हालांकि पर्याप्त मात्रा में पानी है, लेकिन इसका संतुलित और संयमित उपयोग नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी के लिए पानी बचा पाना कठिन हो जाएगा। इस लिहाज से प्रदेश में एक जल नीति तैयार की जाएगी। नीति तैयार करने से पहले हर तबके के लोगों से चर्चा होगी। वैज्ञानिक उपायों से लेकर पारंपरिक ज्ञान को नीति में शामिल किया जाएगा।”

दो दिन चली परिचर्चा के बाद यह तथ्य सामने आए कि प्रदेश पानी के मामले में समृद्ध है। बारिश का 80 फीसदी हिस्सा नदियों से बहकर समुद्रों में चला जाता है। लेकिन यह पानी बर्बाद नहीं होता है। यह नदियों के ईको सिस्टम के लिए जरूरी है, इसे जगह-जगह एनिकट बनाकर रोकने से नदी के ईको सिस्टम पर असर पड़ता है और नदी में मौजूद जीव-जंतुओं का जीवन इससे बुरी तरह प्रभावित होता है।

वहीं प्रदेशभर में बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास की जरूरत है। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और मीडिया के सहयोग से जनजागरुकता फैलाने की जरूरत है, ताकि आम लोग पानी के संरक्षण के उपायों को समझ सकें और उससे जुड़ सकें।

सूबे में पानी के प्रबंधन, गुणवत्ता, जैव विविधता, इकोलॉजी आदि पर शोध के लिए बिलासपुर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोध कराया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालय का सहयोग करेगी। यहां होने वाले शोध का फायदा प्रदेश को मिलेगा।

राज्य सरकार जल्द ही पीने का पानी या जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वालों को सम्मानित करेगी। इसके लिए ग्राम पंचायत और शहर स्तर पर अलग-अलग पुरस्कारों की घोषणा होगी। इसके लिए जल्द ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से निर्देश जारी किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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