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दुर्लभ ट्यूमर की साइबरनाइफ सर्जरी से महिला मिली नई जिंदगी

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नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)| पिछले छह महीने के अधिक समय से रीढ़ की हड्डी के दुर्लभ किस्म के ट्यूमर से पीड़ित 30 वर्षीय गृहिणी का यहां आर्टेमिस हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक इलाज किया गया। ट्यूमर के कारण उन्हें अपने दैनिक कामों को करने में लगातार परेशानी आ रही थी और उनके लकवा से पीड़ित होने का भी खतरा बना हुआ था। आर्टेमिस हॉस्पिटल के एग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस के न्यूरोसर्जरी एंड साइबरनाइफ सेंटर के निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता ने कहा, ट्यूमर हालांकि पहले चरण में था लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया जाता तो इसके कारण शरीर का एक तरफ का हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता। हालांकि इस तरह के ट्यूमर बहुत दुर्लभ होते हैं। केवल 0.5 प्रतिशत से लेकर एक प्रतिशत तक की आबादी ही इससे प्रभावित होती है।

उन्होंने कहा, इस ट्यूमर का परंपरागत रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया। इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगा और रोगी को अस्पताल से तुरंत छुट्टी दे दी गई। रेडियोग्राफिक रिपोर्टों से पता चला कि स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना पहले सत्र के बाद ट्यूमर पूरी तरह से कम हो गया था।

उन्होंने बताया, मरीज को कई महीने से उसके बाएं कंधे में तेज दर्द होता था जिसकी वह हमेशा अनदेखा कर रही थी। दो बच्चों की मां होने के नाते उन्होंने सोचा कि दर्द अधिक काम करने के कारण हो रहा है, लेकिन उसे लगातार और असहनीय दर्द हो रहा था जिसके कारण उन्हें कई बार चलने में भी कठिनाई होती थी। उसके बाद, उसने इस पर ध्यान देना शुरू किया। लेकिन उसके बाद उसके हाथों और पैरों में संवेदना कम होना शुरू हो गया।

डॉ. गुप्ता ने कहा, हालांकि पारंपरिक शल्य चिकित्सा को एक विकल्प के रूप में रखा गया था, लेकिन रोगी को पक्षाघात होने का भी थोड़ा खतरा था और इसलिए इसकी सलाह नहीं दी गई। इसके लिए साइबरनाइफ प्रभावी और सुरक्षित उपचार विकल्प है। इसके नॉन- इंवैसिव और दर्द मुक्त प्रक्रिया होने के कारण, लक्षित विकिरण के हाई डोज से ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया।

रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज में इसकी जल्द से जल्द पहचान की अहम भूमिका होती है। हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए कई अन्य उपचार विधियां उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन पूरी तरह से नॉन-इंवैसिव होने के कारण और किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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