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सिकल सेल रोग के पीछे आनुवंशिक कारक, रोकना संभव

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नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)| सिकल सेल रोग खून से जुड़ी एक बीमारी है, जो बच्चे में अपने माता या पिता या दोनों से आनुवंशिक रूप से आती है। इस बीमारी में खून में पर्याप्त संख्या में लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी/ रेड ब्लड सैल्स) नहीं होतीं, जो शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जरूरी हैं। आमतौर पर यह बीमारी अफ्रीका, अरब और भारतीय प्रायद्वीप में पाई जाती है। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में पीडिएट्रिक ओंकोलोजी एवं हीमेटोलोजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमिता महाजन ने कहा, अगर माता-पिता में से एक में भी सिकल सैल का जीन है तो बच्चे में यह बीमारी होने की संभावना होती है। यानी इन बच्चों में हीमोग्लोबिन का एक जीन सामान्य होता है, लेकिन दूसरा जीन दोषयुक्त होता है। ऐसे बच्चों के शरीर में दोनों तरह का हीमोग्लोबिन बनता है-सामान्य हीमोग्लोबिन और सिकल सैल हीमोग्लोबिन। इनमें कुछ सिकल सैल्स हो सकती हैं, लेकिन आमतौर पर बीमारी के लक्षण नहीं होते।

उन्होंने कहा, यह बच्चे रोग के वाहक होते हैं, यानी इनका दोषयुक्त जीन अगली पीढ़ी में इनके बच्चों में जा सकता है। अगर माता-पिता दोनों में रोग का जीन है तो बच्चा निश्चित रूप से बीमारी से पीड़ित होता है।

उन्होंने बताया कि सिकल सैल जीन सबसे पहले 1952 में उत्तरी तमिलनाडु की नीलगिरी की पहाड़ियों में सामने आया, आज केन्द्रीय भारत के डेक्कन पठार में बड़ी संख्या में लोगों में यह जीन मौजूद है। तमिलनाडु और केरल के उत्तरी इलाकों में भी इसकी कुछ हद तक मौजूदगी है। उत्तरी केरल एवं तमिलनाडु इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी लोगों में यह जीन मौजूद हैं, ऐसे में माना जाता है कि आदिवासी आबादी में एचबीएस जीन की संभावना अधिक होती है। हालांकि यह आदिवासी एवं गैर-आदिवासी दोनों तरह की आबादी में पाया जाता है।

डॉ. अमिता महाजन ने इसके लक्षण के बारे में बताया, सिकल सैल रोग के मरीज में हीमोग्लोबिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता, ऐसे में इन मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत होती है। जीवन के पहले साल से ही मरीज में बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। बीमारी के लक्षण हैं-दर्द, बार-बार न्यूमोनिया, हाथों और पैरों में दर्द के साथ सूजन, प्लीहा/ स्प्लीन (अंग जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है) में अचानक सूजन, स्ट्रोक, देखने में परेशानी, शरीर का विकास ठीक से न होना या हड्डियों में अन्य जटिलताएं।

उन्होंने इलाज के बारे में बताते हुए कहा, कोशिश करनी चाहिए कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज में डीहाइड्रेशन या ऑक्सीजन की कमी न हो। उन्हें खूब पानी पीना चाहिए। ऐसे मरीजों को ऊंचे पहाड़ी इलाकों की यात्रा के दौरान अपना खास ध्यान रखना चाहिए। इन मरीजों को नियमित रूप से हीमेटोलोजिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए। अपने आप को न्यूमोनिया से बचाने के लिए वैक्सीन, एंटीबायोटिक प्रोफाइलेक्सिस और अतिरिक्त फोलिक एसिड लेना चाहिए।

हाइड्रोज्यूरिया, इन मरीजों के लिए फायदेमंद होता है, इससे मरीजों को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत कम हो जाती है, बार-बार दर्द के एपिसोड कम हो जाते हैं तथा स्ट्रोक एवं बीमारी से जुड़ी अन्य जटिलताओं की संभावना भी कम हो जाती है।

डॉ. अमिता महाजन ने कहा, वर्तमान में देश के कई हिस्सों में नवजात शिशुओं की जांच के लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू किए गए हैं, ताकि बीमारी से पीड़ित बच्चों को जल्द से जल्द पहचाना जा सके और समय पर सही इलाज शुरू किया जा सके। अगर परिवार के किसी बच्चे में ऐसा जीन पाया जाता है तो अगली गर्भावस्था में ही इसकी जांच करानी चाहिए, क्यांेकि समय पर पता चल जाने पर परिवार के पास गर्भपात का विकल्प हेता है।

उन्होंने कहा, इलाज के मौजूदा विकल्पों के साथ मरीज अच्छा जीवन जी सकता है और उसे रोग के लक्षणों, खास तौर दर्द से बचाया जा सकता है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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