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नेशनल

भाजपा के नेता किया बड़ा खुलासा, कश्मीर में ये चाहती है पार्टी…

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नई दिल्ली। भाजपा महासचिव राम माधव ने शनिवार को जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के असंतुष्ट विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया। माधव ने ट्वीट किया, हम राज्य में शांति, सुशासन और विकास के हित में राज्यपाल शासन लागू रहने देने के पक्ष में हैं।

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माधव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और इसके सहयोगी, पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन का पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी में एक राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर इसके बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

पीडीपी के कम से कम पांच विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट कर माधव से उन रपटों के बारे में पूछा, जिसमें भाजपा की राज्य इकाई ने यह स्वीकार किया है कि उसने पार्टी के तौर पर पीडीपी को तोड़ने का प्रयास किया।

अब्दुल्ला ने माधव और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करना मार्गदर्शक दर्शन प्रतीत होता है। इसके जवाब में माधन ने लिखा, यह ‘सही नहीं’ है। उन्होंने कहा, मैं निश्चित ही राज्य इकाई से चर्चा करूंगा और यह सुनिश्चित करूंगा कि भाजपा घाटी की अन्य पार्टियों में जो कुछ भी हो रहा है, उससे खुद को दूर रखे।

87 सदस्यीय जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी सदस्यों के जादुई आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं।सदन में, पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और इसे पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है।

यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 44 विधायकों का समर्थन जरूरी है। राज्य का दल-बदल निरोधक कानून अन्य जगहों की तुलना में काफी कठोर है। बिना अयोग्य ठहराए दूसरी पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों की संख्या सदन में पार्टी की कुल संख्या की दो-तिहाई होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में, अयोग्यता से बचने के लिए पीडीपी के कम से कम 18 विधायकों को एकसाथ पार्टी छोड़नी होगी।

अन्तर्राष्ट्रीय

SCO SUMMIT : विदेश मंत्री एस जयशंकर जाएंगे पकिस्तान, शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में होंगे शामिल

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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच काफी लंबे समय से रिश्ते खत्म हैं और तनातनी का सिलसिला जारी है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान जाएंगे। यहां वह SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक में शामिल होंगे। 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में बैठक होगी। 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मंत्री पाकिस्तान जाएगा। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 9 साल बाद पाकिस्तान जाएंगे।

SCO के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में जयशंकर हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी दी। पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक का न्योता दिया था। पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था, ‘बैठक में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।

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