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‘भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र में 8 फीसदी नौकरियां घटी’

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बेंगलुरू, 19 जुलाई (आईएएनएस)| रियल एस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम (रेरा) 2016 के कार्यान्वयन के बीच देश में रियल एस्टेट क्षेत्र में नौकरियों में कमी दर्ज की गई है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि मई (2017) से इस साल मई के बीच एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में इस क्षेत्र में नौकरियों में 8 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

वैश्विक नौकरी वेबसाइट इनडीड के आंकड़ों के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्र में नौकरियों की तलाश समीक्षाधीन अवधि में 8 फीसदी बढ़ी है, लेकिन नौकरियां 8 फीसदी घट गई है।

सरकार ने रेरा लागू करते हुए वादा किया था कि इससे रियल एस्टेट क्षेत्र और नियमित और पारदर्शी बनेगा, जिससे नौकरी तलाशनेवालों का इस क्षेत्र में विश्वास पैदा हो। लेकिन इस क्षेत्र को मंदी से उबरने में लग रही देरी से यह संकेत मिलता है कि रियल एस्टेट क्षेत्र अभी नए कानून के लागू होने के बाद स्थिर होने में समय ले रहा है।

इनडीड इंडिया के प्रबंध निदेशक सशी कुमार ने कहा, रेरा अधिनियम को लागू करना रियल एस्टेट क्षेत्र के संबंध में सरकार के सबसे महत्वपूर्ण नियामक कदमों में से एक है। बड़े पैमाने पर असंगठित रियल एस्टेट क्षेत्र अब रेरा की शुरुआत के बाद अधिक पारदर्शी, बेहतर संगठित और कहीं अधिक जवाबदेह बन गया है। हालांकि यह क्षेत्र अभी रेरा नियमों के हिसाब से व्यवस्थित हो रहा है, लेकिन अधिनियम के निर्धारित अनुपालन और विनियमों के लागू से रियल एस्टेट क्षेत्र में संभावित नौकरी के अवसरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

इनडीड के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में रियल एस्टेट क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियों के अवसर नोएडा में हैं, उसके बाद मुंबई है, जो देश की वित्तीय राजधानी है। सिलिकॉन वैली सिटी बेंगलुरू तीसरे स्थान पर है।

आकंड़ों में बताया गया है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में नौकरी की तलाश करनेवालों में सबसे अधिक 36-45 उम्र के लोग है। जबकि युवाओं का इस क्षेत्र में नौकरी तलाशने में झुकाव कम ही है। साथ ही एक दिलचस्प रुझान यह देखने को मिला कि इस क्षेत्र में 51-65 उम्र के लोग भी सक्रिय रूप से नौकरी तलाशते हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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