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मुख्य समाचार

टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मारन पर चलेगा मुकदमा

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नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया।

इसके साथ ही अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मारन के खिलाफ मुकदमे का रास्ता साफ हो गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उन पर अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मुकदमा चलाए जाने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मारन की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर. भानुमति व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा, आरोप यह है कि आप इस सब का (टेलीफोन एक्सचेंज) अपने भाई के व्यापार के लिए इस्तेमाल कर रहे थे।

उच्च न्यायालय ने आरोप तय करने का निर्देश देते हुए इससे पहले निचली अदालत के मामले में मारन को रिहा किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 12 महीने के भीतर पूरा करने का भी आदेश दिया था।

मारन व तीन अन्य बीएसएनएल अधिकारियों की उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, हम उच्च न्यायालय के आदेश में दखल देने को तैयार नहीं हैं। चूंकि हमारी राय को रिकॉर्ड किए जाने से सुनवाई प्रभावित हो सकती है, इसलिए हम ऐसा करने से बचते हैं।

आरोपी अधिकारियों में से एक ने मामले में अदालत में अपना पक्ष रखना चाहा। इस पर खंडपीठ ने कहा, अपने मंत्री के साथ जाओ। आप के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने 25 जून को पूर्व केंद्रीय मंत्री मारन व उनके बड़े भाई व सन टीवी समूह के प्रमुख कलानिथि मारन के खिलाफ अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले को सीबीआई की एक विशेष अदालत में फिर से भेज दिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए।

उच्च न्यायालय का यह आदेश केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के 14 मार्च के आदेश को दी गई चुनौती पर आया था। विशेष सीबीआई अदालत ने 14 मार्च के आदेश में मारन बंधुओं व अन्य को अवैध टेलीफोन मामले में बरी कर दिया था।

सीबीआई ने कथित तौर पर दयानिधि मारन के घर में एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज लगाए जाने के कारण सरकार को 1.78 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप लगाया है। इस एक्सचेंज का इस्तेमाल सन टीवी के संचालन के लिए किया जाता था।

सीबीआई अदालत द्वारा बरी किए गए अन्य लोगों में बीएसएनएल के पूर्व मुख्य महाप्रबंध के.ब्रह्मनाथन व पूर्व उप महाप्रबंधक एम. वेलुसामी, पूर्व मंत्री के निजी सचिव वी.गोवथमन व सनटीवी नेटवर्क के कर्मचारी एस.कन्नन व के.एस.रवि शामिल हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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