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लाइफ स्टाइल

Friendship Day 2018 : जब FRIEND करने लग जाएं दुश्मन का काम और आप हो जाएं परेशान, तो आज़माएं यह ट्रिक्स

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एक बेहतरीन दोस्त आपकी लाइफ को काफी आसान बना देता है। एक अच्छा और सच्चा दोस्त अगर जीवन में हो तो खुशियां डबल हो जाती है। अमूमन ऐसा होता है कि सभी लोग अपने लाइफ की हर छोटी बड़ी बात अपने दोस्त से शेयर करते हैं। यह कहा जा सकता है कि दोस्त ही आपके जीवन का असली राजदार होता है। लेकिन क्या हो जब आपका वही घनिष्ठ मित्र आपके पीठ पीछे आपके राजफाश करने पर उतारू हो जाये। ऐसे में आप क्या करेंगे? चलिए हम आपको बताते हैं कि इन परिस्थितियों में आपको क्या करना चाहिए। कैसे आप इससे निपटेंगे।

साभार – INTERNET

  • अक्‍सर ऐसा तब होता है, जब वो दोस्‍त आपसे अच्‍छे से बात करता है। लेकिन आपकी उपब्लिधयों से उसे खुशी ना महसूस होती हो। या फिर जब वो आपके पीठ पीछे आपके राज शेयर करता हो या बुराई करता हो, या आपको महसूस हो कि उसकी सलाह उतनी सही नहीं जितनी पहले हुआ करती थी।
  • आपके प्रति वो रवैया नहीं, वो आत्‍मीयता नहीं जो पहले थी। या आपके उन रिश्‍तों में  उसकी वजह से खटास आ रही है। जिन्‍हें आप खोना नहीं चाहते। कारण कई हो सकते हैं। लेकिन इसके हल के लिए आपको वो करना होगा, जिन्‍हें करने से आप अब तक हिचकते रहे।
  • उसे उन ग‍लतियों को करने दें जो वो आपके साथ करती हो। जी हां, आपने सही पढ़ा। उसे ना रोकें बल्कि अपनी हद निश्चित कर लें। आप कहां तक सहन कर सकते हैं। फिर धीरे-धीरे उसे अपने जीवन से बाहर निकालने का प्रोसेस शुरू करें। इसके लिए उससे दूरी बनाने की शुरुआत करें यानी उसे इग्‍नोर करने की शुरुआत।
  • ये बहुत जरूरी है। अक्‍सर हम ऐसा ही करते हैं कि सामने वाले की गलतियों को देखते हैं पर खुद को नहीं परखते। खुद से ईमानदार रहना जरूरी है। खुद को केवल ये समझाएं कि उसके बर्ताव से जो रहा है, उसमें आपकी गलती नहीं है।
  • ना कहने का जीवन में बहुत महत्‍व है। इसलिए ना कहना सीखें। जबरदस्‍ती किसी के साथ रिश्‍ते चलाने का कोई कारण आपके पास ना हो। अगर आप अपनी दोस्‍ती में ईमानदार हैं तो सामने वाले से यही उम्‍मीद करना आपकी गलती नहीं है। जो आपको तकलीफ दे रहे हैं, उन्‍हें जीवन से निकाल दें।
  • अगर किसी को आप खुद से दूर कर रहे हैं तो उसका तमाशा लोगों के बीच ना बने। अगर कोई इसके बारे में आपसे बात करें तो भी उससे कुछ ना कहें। ये आपका निजी फैसला है।
  • टॉक्सिक दोस्‍तों को बाहर कर देना जरूरी है। लेकिन इसका ये मतलब नही है कि आपको सच्‍चे दोस्‍त नही मिलेंगे। ऐसे कई लोग आपके जीवन में आएंगे, जो आपके पुराने अनुभवों को भुला देंगे।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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