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मुख्य समाचार

इफको ने स्पेन की कंपनी के साथ की साझेदारी

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नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)| संसाधित उर्वरकों के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लि. (इफको) ने इंडिविज्युअली क्विक फ्रोजन (आईक्यूएफ) प्रौद्योगिकी में महारत रखने वाली स्पेन की 22 करोड़ डॉलर की खाद्य प्रसंस्करण कंपनी कॉंगेलैडोस डी नवारा के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित कर खाद्य प्रसंस्करण के कारोबार में प्रवेश किया है। इफको ने एक बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी। कॉंगेलैडोस डी नवारा सब्जियों, फलों, जड़ी-बूटियों और पके-पकाए व्यंजनों का प्रसंस्करण करती है। यह संयुक्त उद्यम कंपनी ग्रीनफील्ड खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए पंजाब के लुधियाना जिले में 325 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। परियोजना के लिए भूमि की पहचान कर ली गई है और दिसंबर तक काम शुरू हो जाने की उम्मीद है।

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा, किसानों के लाभ के लिए खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय में प्रवेश करना एक सार्थक पहल है। प्रसंस्करण इकाई के लिए सीधे किसानों से उत्पाद लेकर उनकी आय में वृद्धि करना इस संस्था का उद्देश्य है। हम 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रधानमंत्री जी के सपने को पूरा करने में हर संभव योगदान करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, उर्वरक, बीमा, कृषि-रसायन, कृषि वानिकी, कृषि खुदरा, ग्रामीण दूरसंचार, किसान प्रशिक्षण और ऑर्गेनिक्स के बाद अब खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में कदम रखने से किसानों को आलू-मटर और फूलगोभी की बिक्री में सहायता मिलेगी। इफको खाद्य प्रसंस्करण को पूरे देश में ले जाएगी ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। मेरा मानना है कि हमारे किसानों को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए एक अच्छे बाजार की जरूरत है और खाद्य प्रसंस्करण से निश्चित रूप से उनकी आमदनी बढ़ेगी।

उन्होंने बताया कि परियोजना पूरा होने में लगभग 18 महीने लगेंगे और फ्रोजन आलू, मटर व फूलगोभी जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उत्पादन 2020 से शुरू होने की उम्मीद है। इस परियोजना से पंजाब में प्रत्यक्ष रूप में 400 और अप्रत्यक्ष रूप से 5000 स्थानीय नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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