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मुख्य समाचार

कानून की बुनियादी समझ हर नागरिक के लिए जरूरी : उप राष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 1 सितम्बर (आईएएनएस)| उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि कानून की बुनियादी समझ हर नागरिक के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि कानून सिर्फ वकीलों तक सीमित नहीं है। इसके हितधारकों में इजाफा हो रहा है क्योंकि सामान्य जीवन में भी कानून की जानकारी की जरूरत सबको होती है। उप राष्ट्रपति यहां सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) और मेनन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल एडवोकेसी ट्रेनिंग (एमआईएलएटी) के 10वें विधिक शिक्षक दिवस कार्यक्रम में बोल रहे थे।

वेंकैया नायडू ने कहा कि विधिक शिक्षा के माध्यम से सामाजिक दर्शन और प्रतिबद्धता वाले वकील पैदा होने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जिससे छात्रों में भारतीय संस्कृति और लोकाचार की गहरी समझ के साथ-साथ मित्रता की भावना, सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की अहमियत और प्रासंगिकता की भावना भी पैदा हो।

इस मौके पर देशभर के विधिक शिक्षकों और विधिक शिक्षण संस्थानों के लिए इस साल के अवार्ड की घोषणा की गई।

उप राष्ट्रपति ने प्रोफेसर एन. आर. माधव मेनन को श्रेष्ठ विधिक शिक्षक सम्मान-2018 प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। महान्यायवादी के.के. वेणु गोपाल को एसआईएलएफ-एमआईएलएटी प्रोफेसर (न्यायमूर्ति) ए.बी.रोहतगी ज्यूरिस्ट अवार्ड 2018 प्रदान किया गया।

भुवनेश्वर स्थित केआईआईटी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ को एसआईएलएफ-एमआईएलएटी लीगल एजुकेशन इनोवेशन अवार्ड 2018 प्रदान किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित लॉयड कॉलेज ऑफ लॉ को एसआईएलएफ-एमआईएएलटी इंस्टीट्यूशनल एक्सीलेंस अवार्ड 2018 प्रदान किया गया।

एसआईएनएफ-एमआईएलएटी अवार्ड फॉर बेस्ट लॉ स्टूडेंट 2018 बिहार के गया स्थित सेंट्रल लॉ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ की स्टूडेंट सान्या दरक्षन किश्वर और चेन्नई स्थित अंबेडकर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की स्टूडेंट भार्गवी कन्नन को प्रदान किया गया।

श्रीेलंका की कोलंबो यूनिवर्सिटी के विधि विभाग, बांग्लादेश के ढाका स्थित एंपावरमेंट थ्रू लॉ ऑफ कॉमन पीपुल, नेपाल के काठमांडू स्थित त्रिभुवन यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ और भारत के एमिटी यूनिवर्सिट स्कूल ऑफ लॉ को एसआईएनएफ-एमआईएलएटी साउथ एशिया लीगल एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड 2018 प्रदान किया गया।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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