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प्रादेशिक

यूपी लोक सेवा आयोग की साख खतरे में!

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लखनऊ/इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की साख दिनों दिन गिरती जा रही है। आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव लगातार विवादों में रहे हैं।

यूपीपीएससी जैसी सूबे की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र भी अब अपने आप को ठगा महसूस करने लगे हैं। विद्यार्थियों का आरोप है कि उप्र लोक सेवा आयोग का राजनीतिकरण हो गया है, इसलिए पर्चा लीक होने जैसी घटनाएं और विवादित मामले सामने आ रहे हैं। यूपीपीएससी के अध्यक्ष अनिल यादव कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करने जा रहे हैं। वहीं, उनके सामने परीक्षा का पर्चा लीक होने का नया विवाद आ खड़ा हुआ है। इससे पहले पीसीएस परीक्षा में त्रिस्तरीय आरक्षण को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन भी हुआ था, जिसमें सरकार को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।

पीसीएस की प्राथमिक परीक्षा का पेपर लीक होने की घटना रविवार को सामने आने के बाद आयोग की शुचिता पर एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे हैं। आयोग के अध्यक्ष के रूप में अनिल यादव ने दो अप्रैल 2013 को कार्यभार संभाला था। उसके बाद से उनके कार्यकाल में दो परीक्षाओं के परिणाम संशोधित हो चुके हैं। पीसीएस-2011 की मुख्य परीक्षा को लेकर आयोग को अपना परिणाम बदलना पड़ा था। इसके परिणाम पहले त्रिस्तरीय आरक्षण के आधार पर घोषित किए गए थे। बाद में उच्च न्यायालय में इसे अवैध ठहराए जाने के बाद नए सिरे से परिणाम घोषित किए गए। पीसीएस जे-2013 की परीक्षा में गलत सवालों की वजह से आयोग को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

उप्र लोक सेवा आयोग के एक सदस्य ने बताया कि पर्चा लीक होने से आयोग की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शासन में योग्यता को दरकिनार किया गया और इस वजह से तमाम तरह के विवाद खड़े हुए। उप्र लोक सेवा आयोग में सुधार की जरूरत है। इलाहाबाद में गत आठ वर्षो से यूपीपीसीएस की तैयारी कर रहे अनिल मिश्रा कहते हैं, “उप्र लोक सेवा आयोग राजनीति का अड्डा बन गया है। उप्र लोक सेवा आयोग जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का एक तरह से राजनीतिकरण हो गया है। इसलिए पिछले कई वर्षो से इसकी साख लगातार गिरती जा रही है। इसका छात्रों पर मानसिक असर तो पड़ता ही है।”
इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश इकाई के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक भी छात्रों की बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि आईएएस की परीक्षा के बाद उप्र के छात्रों के लिए यूपीपीसीएस की परीक्षा खासी अहम होती है लेकिन अब आयोग की शुचिता पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। सरकार को चाहिए कि उप्र की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए, ताकि छात्रों का नुकसान न हो।

गौरतलब है कि उप्र लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा 29 मार्च को होनी थी। छात्र रविवार को अपने परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने भी पहुंच चुके थे, लेकिन परीक्षा के समय ही सूचना आई कि यूपीपीसीएस परीक्षा का पर्चा लीक हो गया है। छात्र इस बात से काफी उग्र हो गए और उन्होंने लोक सेवा आयोग के सामने हंगामा किया।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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