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प्रादेशिक

बाढ़ का कहर, लोग छोड़ रहे श्रीनगर

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श्रीनगर | जम्मू एवं कश्मीर में हुई भारी बारिश के बाद उफान पर आई झेलम नदी ने एक बार फिर बाढ़ का कहर बरपाया है। सितंबर महीने में आई भयानक बाढ़ से अभी शहर पूरी तरह उबरा भी नहीं था कि बाढ़ एक बार फिर सबकुछ उजाड़ने पर आमदा है।

श्रीनगर के गोजीबाग रिहायशी इलाके में रहने वाले निसार हुसैन (65) को तीन महीने बाद दोबारा अपने घर में वापस आने पर पछतावा हो रहा है। बाढ़ के कारण लगातार दूसरी बार उन्हें, उनकी पत्नी (60) तथा बेटी (27) को अपना घर-बार फिर से छोड़ना पड़ रहा है। बीते साल सितंबर में आई बाढ़ में जब पानी दूसरी मंजिल तक पहुंच गया था, तब निसार तथा उनका परिवार जान बचाने के लिए अटारी पर चढ़ गए और तीन दिनों तक वहीं फंसे रहे। बाद में बचाव कार्य के लिए आए सेना के जवानों ने उन्हें बाहर निकाला। इसके बाद, वह और उनका परिवार दो महीने तक हब्बा कादल स्थित एक रिश्तेदार के घर में रहे। फिर दिसंबर में वह दिल्ली चले गए, जहां तीन महीने तक वह एक किराए के मकान में रहे।

उन्होंने कहा, “मैं अपने घर तीन महीने से ज्यादा समय के बाद आया। हमने घर की पहली मंजिल पर रहना शुरू किया, क्योंकि बाढ़ के कारण भूतल से अभी भी बदबू आ रही थी।” चिंतित स्वर में निसार ने कहा कि अधिकारियों द्वारा बाढ़ की चेतावनी के बाद आनन-फानन में हम हब्बा कादल स्थित अपने एक रिश्तेदार के घर गए। उन्होंने कहा, “यह आघात है। टेलीविजन चैनलों पर झेलम नदी में बढ़ते जलस्तर की खबर आने के बाद मेरी बेटी ने गोजीबाग में रहने से बिल्कुल इनकार कर दिया।”

उन्होंने कहा, “हम वापस नहीं आ पाए, मेरी बेटी इस महीने की शुरुआत में काम शुरू नहीं कर पाई। यह असहनीय है। यह है क्या? पहले शरद ऋतु में बाढ़ और अब वसंत में। गर्मी में वैसे भी कश्मीर में बाढ़ आती रहती है।” निसार दर्जनों उन परिवारों में शामिल हैं, जो पिछले तीन दिनों के दौरान राजबाग, जवाहर नगर, वजीर बाग तथा गोजीबाग जैसे इलाके को छोड़ चुके हैं। ये इलाके पिछले साल आई बाढ़ में पूरी तरह डूबे हुए थे। और अधिक बारिश हुई, तो इन इलाकों के हजारों निवासियों के लिए स्थिति बदतर हो जाएगी। एक अन्य स्थानीय निवासी गुलाम रसूल (56) राजबाग स्थित अपने घर में सितंबर में आई बाढ़ के बाद दोबारा रहने आए थे। उन्होंने तो अधिकारियों द्वारा बाढ़ की चेतावनी की घोषणा का भी इंतजार नहीं किया और अपना घर छोड़ दिया।

उन्होंने कहा, “मैंने अपने परिवार के साथ अपने पीछे अपना सबकुछ छोड़ आया हूं। शनिवार रात लगातार चार घंटे तक हुई बारिश के बाद हमने अपना घर छोड़ दिया।” लाल चौक तथा मैसूमा व्यावसायिक केंद्र के दुकानदारों ने रविवार सुबह से ही दुकानों से सामानों को हटाना शुरू कर दिया था।  बीते साल सितंबर में आई बाढ़ में ये व्यावसायिक इलाके झेलम नदी का जलस्तर सामान्य होने के बाद भी 20 दिनों तक पानी में डूबे रहे थे। अधिकारियों ने झेलम नदी के किनारे रहने वाले लोगों को अत्यधिक एहतियात बरतने को कहा है। शहर में भारी जल जमाव से सड़कों, बाजारों और रास्तों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है।

गठबंधन सराकार में मंत्री नईम अख्तर ने कहा कि पिछले साल आई बाढ़ के कारण जलस्तर पहले से ही बढ़ा हुआ था और भारी बारिश ने रही सही कसर पूरी कर दी। श्रीगर की जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई है। सोमवार सुबह से बारिश बंद हो गई है और मौसम विभाग ने कहा है कि बारिश में कमी आएगी। स्थानीय मौसम कार्यालय की निदेशक सोनम लोटस ने कहा, “लेकिन, तीन अप्रैल को एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ के राज्य से टकराने की संभावना है। हालांकि यह प्छिले दिनों की तरह ज्यादा सक्रिय नहीं होगा।”

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बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनने आई लाखों जनता, मची भगदड़

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भीलवाड़ा। राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित कुमुद विहार में आयोजित हनुमंत कथा के दूसरे दिन गुरुवार को वीआईपी गेट पर अव्यवस्था के कारण अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही। इसके कारण कई लोगों को चोटें आई हैं। कथा के संरक्षक बनवारी शरण महाराज ‘काठिया बाबा’ ने आयोजन समिति और पुलिस-प्रशासन पर मनमानी का आरोप भी लगाया। आयोजन स्थल पर पहुंचे कई लोगों ने कहा कि बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनने आई महिलाओं को वीआईपी पास के बावजूद एंट्री नहीं दी गई। वहीं, वीआईपी गेट पर अव्यवस्था के कारण कई बार भगदड़ की स्थिति भी बनी रही।

व्यवस्था पर उठे सवाल

एक महिला चंद्रकला सुमानी ने बताया कि उनके पास वीआईपी पास थे। अगर सीटें नहीं थीं तो वीआईपी पास क्यों जारी किया गया है। यहां पर व्यवस्था काफी खराब है। पुलिस ने बिना सूचना के वीआईपी गेट को बदल दिया। कई महिलाओं ने आरोप लगाया कि अव्यवस्था के कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। कई लोग नीचे गिरे लोगों के ऊपर से चढ़कर गुजर गए। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है। हालांकि, अव्यवस्था और तमाम आरोपों पर आयोजकों की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

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