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आध्यात्म

जगद्गुरु कृपालु परिषत् ने किया साधु-संतों का सत्‍कार

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बरसाना (उप्र)। वेदव्यास ने अट्ठारह पुराणों का मंथन करने के पश्चात् अन्त में दो ही बातों को समस्त शास्त्रों-वेदों का सार बताया है कि परोपकार अर्थात् किसी दूसरे जीव के लिये दया भाव से उसके हित के लिये किये गये कार्य से बड़ा संसार में कोई पुण्य नहीं है एवं किसी जीव को दुःखी करने से बढ़कर संसार में कोई पाप नहीं होता। इसी बात को तुलसीदास जी ने अपनी रामचरितमानस में बड़े सहज ढंग से लिखा है- परहित सरिस धरम नहिं भाई, परपीड़ा सम नहि अधमाई। परन्तु वेदों का यह अकाट्य सिद्धान्त है कि जब तक जीव को परमानन्द अर्थात् ईश्वरीय आनन्द न मिल जायेगा तब तक वह परोपकार कर ही नहीं सकता।

संसार में जो परोपकार होता दिखाई पड़ता है, उसमें लोक या परलोक सम्बन्धी कोई न कोई कामना छिपी रहती है। परोपकार शब्द केवल भगवान् एवं महापुरुषों के लिये ही प्रयोग करना सर्वथा उचित है, क्योंकि वो स्वयं के लिये कुछ कर ही नहीं सकते, अतः वो जो कुछ भी करेंगे, वो दूसरों के कल्याण के लिये ही करेंगे। अतः केवल भगवान और महापुरुष ही परोपकार कर सकते हैं।

श्री महाराज जी के अकारण करुणा के स्वभाव से सम्पूर्ण विश्व भलीभाँति परिचित है, उनकी ही पावन प्रेरणा से जगद्गुरु कृपालु परिषत् जैसी वृहद अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की गयी है, जिसका एकमात्र उद्देश्य जीवों का आध्यात्मिक एवं भौतिक कल्याण करना है। परिषत् द्वारा प्रति वर्ष जीवों के कल्याण के लिये अनेक प्रकार की योजनायें चलायी जाती हैं। परिषत् द्वारा साधु भोज, विधवा भोज, नेत्रहीनों एवं विकलांगों की सहायता जैसे अनेक प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं।jkp2

इसी क्रम में भक्तियोग रसावतार भगवदनन्त श्री विभूषित जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की पावन प्रेरणा से जगद्गुरु कृपालु परिषत् के बरसाना स्थित आश्रम “रँगीली महल” में 4000 साधुओं के लिये साधु भोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पधारे हुये साधुओं का भव्य स्वागत किया गया। साधुओं के चरण-पखारकर उन्हें भोज-स्थल तक ले जाया गया। जो साधु-संत चलने में असमर्थ थे, उन्हें व्हील चेयर पर बिठाकर कार्यक्रम स्थल तक ले जाया गया। साधुओं को सम्मानपूर्वक भोजन करवाया गया एवं नगद धनराशि दक्षिणा स्वरूप प्रदान की गई। साधुओं को दैनिक आवश्यकता की वस्तुयें दान-स्वरूप प्रदान की गयीं।

सम्पूर्ण कार्यक्रम जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं सुश्री डा. विशाखा त्रिपाठी, सुश्री डा. श्यामा त्रिपाठी एवं सुश्री डा. कृष्णा त्रिपाठी जी के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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