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उप्र : पर्यटन मंत्री रीता जोशी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
लखनऊ, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए गठित इलाहाबाद की एक विशेष अदालत ने प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने यह आदेश पिछले एक साल से कई तारीख पर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होने पर दिया है। वर्ष 2010 की घटना से जुड़ा मुकदमा लखनऊ में 2011 से विचाराधीन है।
विशेष न्यायाधीश ने कहा कि 14 फरवरी 2011 को अदालत ने संज्ञान लेकर समन जारी किया था। उसके बाद नियत तारीख पर कई समन जारी हुए। 18 अगस्त 2017 को 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी हुआ।
उन्होंने कहा कि 17 सितंबर 2018 तक 12 तारीखों पर भी यही जमानती वारंट जारी हुआ लेकिन आरोपी अदालत में उपस्थित नहीं हुए। मुकदमे का शीघ्र निस्तारण आरोपियों के कोर्ट में उपस्थित हुए बिना संभव नहीं है इसलिए गैर जमानती वारंट जारी किया जाना उचित, युक्तियुक्त प्रासंगिक, विधिक व न्यायहित में होगा।
कोर्ट ने कई कड़े निर्देशों का पालन करने का भी आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक, रीता बहुगुणा जोशी 31 अक्टूबर को खुद कोर्ट में उपस्थित होना होगा।
आदेश में यह भी कहा गया है कि वह साक्ष्य को नष्ट नहीं करेंगी और साक्षियों को प्रभावित नहीं करेंगी। मुकदमे के त्वरित निस्तारण में सहयोग करेंगी और न्यायिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगी।
कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि इन शर्तो का पालन नहीं करने पर विधिसंगत कार्यवाही की जा सकेगी।
गौरतलब है कि लखनऊ के वजीरगंज थाने में वर्ष 2010 में यह मुकदमा तब दर्ज हुआ था जब रीता बहुगुणा जोशी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थीं।
कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष मीरा सिंह व रीता बहुगुणा जोशी पर आरोप है कि उन्होंने धारा 144 लागू होने के बाद भी शहीद पथ पर सभा की और उसके बाद भीड़ के साथ विधानसभा में कूच करने निकल पड़ीं। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो बवाल, तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं हुईं थी।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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