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राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार कानून लाए : भागवत

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नागपुर, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के एजेंडे को प्रमुखता से रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख(आरएसएस) मोहन भागवत ने गुरुवार को जल्द से जल्द उचित कानून लाकर मंदिर बनाने पर जोर दिया और इस प्रक्रिया में बाधा डालने को लेकर कुछ ‘रुढ़िवादी तत्वों’ की निंदा की।

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के 93वें स्थापना दिवस पर वार्षिक विजयादशमी संबोधन में उन्होंने सबरीमाला मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की आलोचना की। शीर्ष अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति दी थी।

उन्होंने कहा, “राम मंदिर रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द बनाया जाना चाहिए। अब इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। इसपर निर्णय जल्द से जल्द लेना चाहिए। हमारा कहना है कि सरकार को कानून लाना चाहिए और राम मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए। इस संबंध में संतों का जो भी निर्णय होगा, हम उसके साथ खड़े होंगे।”

उन्होंने कहा, “भगवान राम किसी समुदाय के नहीं है। वह हिंदुओं और मुस्लिमों के नहीं हैं। वह भारत के प्रतीक हैं। उनके मंदिर का निर्माण अवश्य ही होना चाहिए, चाहे किसी भी तरह हो। सरकार को कानून लाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मामला अदालत में है। इसमें लगातार देरी पर देरी होती जा रही है। इसमें और कितना देरी किया जाएगा? हिंदु समुदाय लंबे समय से मंदिर के निर्माण का इंतजार कर रहा है। लोग इसके बारे में तथ्य जानते हैं। लेकिन कुछ लोग इसपर राजनीति करते हैं। वे लोग प्रक्रिया में देरी करने का प्रयास कर रहे हैं। अगर वहां राजनीति नहीं की गई होती, तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता। इसका निर्माण सबके साथ सहयोग व समन्वय स्थापित करके होगा।”

राष्ट्रीय सुरक्षा पर भागवत ने कहा कि भारत को रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा विचार के प्रमुख मुद्दे हैं, क्योंकि ये देश में समृद्धि और विकास के लिए अवसर सुनिश्चित करते हैं।

भागवत ने कहा, “सरकार और सशस्त्र सेना ने अपने पड़ोसियों समेत सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध रखने के स्पष्ट इरादे को दर्शाया है, लेकिन यह जरूरी है कि हम मजबूत बने रहें और जब भी जरूरत हो निर्भीक कार्रवाई करते वक्त अपनी पूरी क्षमता का बेहतरीन इस्तेमाल करें।”

भागवत ने कहा, “हमें खुद की रक्षा करनी है, हमें इतना मजबूत बनना है कि जो हमपर हमला करने की सोच रखते हैं, वे ऐसा करने की हिम्मत न करें।”

आरएसएस प्रमुख ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कहा, “यह फैसला सभी पहलुओं पर बिना विचार किए लिया गया, इसे न तो वास्तविक व्यवहार में अपनाया जा सकता है और न ही यह बदलते समय व स्थिति में नया सामाजिक क्रम बनाने में मदद करेगा।”

भागवत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले की वजह से सबरीमाला में बुधवार को जो स्थिति दिखाई दी, उसका कारण सिर्फ यह है कि समाज ने उस परंपरा को स्वीकार किया था और लगातार कई सालों से पालन होती आ रही परंपरा पर विचार नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, “लैंगिक समानता का विचार अच्छा है। हालांकि, इस परंपरा का पालन कर रहे अनुयायियों से चर्चा की जानी चाहिए थी। करोड़ों भक्तों के विश्वास पर विचार नहीं किया गया।”

 

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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