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प्रादेशिक

सामने आई फर्जी IAS, अकादमी के अधिकारी पर पैसे लेकर नौकरी देने का लगाया आरोप

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नई दिल्ली। मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में फर्जी आईएएस बनकर रह रही महिला अधिकारी मीडिया के सामने प्रकट हो गई है। इस महिला ने अकादमी के अधिकारियों पर उसे नौकरी देने के नाम पर 5 लाख रुपए लेने और मामले में अपना मुंह बंद रखने के लिए 5 करोड़ रुपए ऑफर किए जाने के आरोप लगाए हैं। उसका दावा है कि अगर इस मामले में उसकी कोई गलती है तो उसे जेल भेज दिया जाए। मामले में केंद्र सरकार ने अकादमी के उप-निदेशक सौरभ जैन से जवाब तलब करने का फैसला किया है।

उल्लेखनीय है कि अकादमी में फर्जी आईएएस महिला अधिकारी का मामला सामने आने के बाद हड़कम्प मच गया था। रूबी चौधरी नाम से रह रही ये फर्जी अधिकारी सात महीने तक सभी को बेवकूफ बनाती रही लेकिन किसी को शक तक नहीं हुआ। इस महिला ने न केवल यहां की सुरक्षा में सेंध लगाई बल्कि यहां के पूरे सिस्टम को नाकारा साबित कर दिया। अब मीडिया के सामने आई रूबी का कहना है कि मामले में मेरी गलती सिर्फ इतनी थी कि मैंने अकादमी के एक अफसर को नौकरी देने के नाम पर 5 लाख रुपए दिए। रूबी का कहना है कि मुझे अकादमी में ट्रेनी के तौर पर 7 महीने तक रखा गया लेकिन नौकरी नहीं दी गई। अकादमी में संदिग्ध रूप से ठहरने के सवालों पर रूबी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन उसने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में मुंह बंद रखने के लिए मुझे 5 करोड़ रुपए देने का ऑफर दिया गया, लेकिन मैंने उसे खारिज कर दिया।

आपको बता दें कि ट्रेनिंग सेंटर में रह रही रूबी चौधरी जब भी किसी आईएएस अफसर से मिलती तो खुद एसडीएम बता देती लेकिन किसी दूसरे से मिलती तो लाइब्रेरियन कह देती। हालांकि हकीकत में उसकी असलियत से कभी पर्दा नहीं उठ पाया। अकादमी के मुताबिक रूबी चौधरी पुत्री सत्यवीर सिंह, निवासी ग्राम कुटबा, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) अकादमी में रह रही थी। आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्वयं को ट्रेनी आईएएस अधिकारी बताते हुए सितंबर-2014 में प्रवेश लिया था। 27 मार्च, 2015 को यह महिला अचानक गायब हो गई। बाद में जब उसके कमरे की तलाशी ली गई तो कागजातों से पता चला कि रूबी का पहचान पत्र प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एटीआई) नैनीताल से जारी हुआ। समें रूबी को एसडीएम दिखाया गया है।

मामला सुर्खियों में आया तो उसे रफादफा करने के लिए कई कदम उठाए गए लेकिन मामले के सूत्रधार अकादमी के उप-निदेशक का नाम गायब रहा। बताया जा रहा है कि इसी उप-निदेशक की शह पर वो अकादमी में रह रही थी। मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होने की वजह से पुलिस काफी सतर्कता बरत रही थी लेकिन मसूरी शहर के कोतवाल एचएस भंडारी को मामले की जानकारी मीडिया को दे दी। जिसके बाद उनका भी तबादला कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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