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हानिकारक सीमेंट रसायनों से भारतीय श्रमिकों को स्वास्थ्य खतरा : एम्स
नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)| निर्माणाधीन स्थलों पर सीमेंट के इस्तेमाल वाला काम करने वाले या इसके संपर्क में आने वाले पुरुष व महिला श्रमिकों में त्वचा संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है क्योंकि इसमें (सीमेंट में) हानिकारक रसायन होते हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
स्वीडन के लुंड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि सीमेंट में हेक्जावलेंट क्रोमियम जैसे रसायनों की बड़ी सघनता होने से त्वचाशोथ, खाज, चकत्ते और जलन जैसी त्वचा समस्याएं हो सकती हैं। इस अध्ययन में डॉ. कौशल वर्मा और डॉ. मैग्नस ब्रूज मुख्य शोधकर्ता शामिल थे।
एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. वर्मा ने आईएएनएस को बताया, “एम्स में हम निर्माण उद्योग में काम कर रहे कई मरीजों को देखते हैं, जो कि त्वचा एलर्जी की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने के बाद हमने ऐसे मामलों का अध्ययन करने का फैसला किया।”
भारतीय बाजार में उपलब्ध सात से आठ सीमेंट नमूनों को अध्ययन के लिए चुना गया। डॉ. वर्मा ने कहा कि अध्ययन में पाया गया कि त्वचा एलर्जी के सबसे बड़े कारणों में से एक पोटेशियम डिक्रोमेट है, जो कि अधिकतर नमूनों में मौजूद है।
शुरुआती लक्षणों में इसकी शुरुआत त्वचा के शुष्क व खुजली होने से शुरू होती है। बाद में यह उन लोगों में बड़ी एलर्जी का आकार ले लेती है, जो निर्माण उद्योग में दो या उससे अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं।
डॉ. वर्मा ने कहा, “शुरुआती लक्षण कई महीनों तक काम करने के बाद उभरकर सामने आते हैं। लेकिन कंस्ट्रक्शन मजदूरों की आदत इसे नजरअंदाज करने की है क्योंकि वे स्वास्थ्य के खतरे को लेकर जागरूक नहीं हैं। एम्स में दो साल से अधिक समय से काम कर रहे कई मजदूर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त त्वचा के साथ आते हैं।”
गीला सीमेंट, सूखे सीमेंट की तुलना में अधिक हानिकारक पाया गया है।
वहीं दूसरी तरफ सीमेंट एलर्जी पैर, हाथ, गर्दन जैसे शरीर के अन्य हिस्सों और तो और चेहरे पर उभर सकती है जो कि इसके संपर्क में आते हैं।
त्वचा रोगों के उपचार की संभावनाओं के बारे में बात करते हुए डॉ. वर्मा ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि एलर्जी कितनी बड़ी है और यह शरीर के किन-किन के हिस्सों में फैल गई है।
उन्होंने कहा, ” अगर त्वचा एलर्जी अपने शुरुआती चरण में है, तो इसे दो से चार हफ्तों में आसानी से कॉर्टिकोस्टेरॉइड, एंटी-एलर्जी टैबलेट व ड्रग, क्रीम, मरहम और लोशन के सहारे ठीक किया जा सकता है।”
डॉ. वर्मा ने कहा, “हालांकि अगर समस्या बढ़ जाती है और गंभीर हो जाती है तो कॉर्टिकोस्टेरॉइड की गोलियां व इंजेक्शन लेने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में, कॉर्टिकोस्टेरॉइड के राहत देने में विफल रहने पर अजथियोप्रीन व साइक्लोस्पोरिन (इम्यूनो-सप्रेसिव मेडिसिन) भी ली जा सकती है। इसमें उपाचर के लिए कुछ महीने लग सकते हैं लेकिन इस तरह के मामले सीमित हैं।”
डॉ. वर्मा ने कहा कि उपचार शुरू होने से पहले मरीज को एक ‘पैच टेस्ट’ से गुजरना पड़ता है जो कि अक्सर एक बोझिल प्रक्रिया होती है क्योंकि कई अस्पतालों में यह सुविधा नहीं है।
उन्होंने कहा कि अन्य परीक्षणों से अलग पैच टेस्ट में मरीज को एक सप्ताह तक अस्पताल या क्लिनिक के चक्कर लगाने की आवश्यकता होती है। उपचार रिपोर्ट पर आधारित होता है। यह टेस्ट एम्स और अन्य सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में किया जाता है जबकि निजी अस्पतालों में इसकी कीमत 10,000 रुपये से अधिक होती है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि अगर कोई सीमेंट के संपर्क से पूरी तरह अलग है, तो उसे त्वचा रोग का कोई जोखिम नहीं है।
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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया
दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।
फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।
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