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सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई सामान्य वर्ग आरक्षण पर रोक, कल फिर होगी सुनवाई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए फिलहाल इस पर रोक नहीं लगाई है।

अगले दिन यानी बुधवार को इस मामले पर कोर्ट सुनवाई जारी रखेगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले हम ये तय करेंगे कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं?

जिस दिन कोर्ट इस बारे में अपना फैसला सुनाएगा उसी दिन कोर्ट ये तय करेगा कि अंतरिम आदेश (अंतरिम रोक) को लेकर सुनवाई कब से शुरू की जाए।

इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई में इस बात पर विचार किया जाएगा कि 124वें संविधान संसोधन पर रोक लगाई जाए या नहीं।

सर्वोच्च अदालत ने कानून पर रोक लगाने या मामला बड़ी बेंच को भेजने का आदेश देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। दरअसल, याचिका में सुप्रीम कोर्ट में 124वें संविधान संसोधन को चुनौती दी गई है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी और वकील कौशलकांत मिश्रा और अन्य की ओर से दाखिल की गई थी। याचियों के मुताबिक  आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, यह सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने के साथ-साथ 50% के सीमा का भी उल्लंघन करता है। गौरतलब है कि यह विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देता है।

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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