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उत्तराखंड

राज्य सरकार गरीबों के हित में अनेक योजनाएं चला रही: त्रिवेंद्र सिंह रावत

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में लाभार्थियों को दाल के पैकेट वितरित कर योजना का शुभारंभ किया। प्रदेश के 23 लाख 32 हजार राशनकार्ड धारकों को अब बाजार दर से कम दर पर दाल मिलेगी। मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना में प्रत्येक राशनकार्ड धारक को दो किलो दाल प्रति माह कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाएगी।

गुरूवार को सीएम आवास स्थित जनता दर्शन हाॅल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चयनित लाभार्थियों को दाल के पैकेट वितरित कर योजना का शुभारम्भ किया। भारत सरकार से उपलब्धता के आधार पर दाल उपलब्घ कराई जाएगी। इस माह चने की दाल 44 रूपए प्रति किलो दी जा रही है। बाजार में इसकी कीमत 65 से 70 रूपए प्रति किलो है। अगले महिनों में दाल की कीमत कम-ज्यादा भी हो सकती है। परंतु मार्केट रेट से हमेशा कम ही रहेगी।

योजना का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार गरीबों के हित में अनेक योजनाएं चला रही है। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। जहां भी लगे कुछ गलत हो रहा है, तुरंत सरकार को बताएं। मुख्यमंत्री हेल्प लाईन नम्बर 1905 पर भी बता सकते है। तत्काल एक्शन लिया जाएगा। अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना से बङी संख्या में लोग लाभान्वित हुए हैं। सरकार योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचाना चाहती है, इसमें सभी का सहयोग चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के स्वस्थ भारत के लक्ष्य में दाल पोषित योजना सहायक होगी। भोजन में सभी पोषक तत्व आवश्यक हैं। दाल प्रोटीन की पूर्ति करेगी। स्वस्थता के साथ स्वच्छता भी जरूरी है। खुशी है कि स्वच्छता को लेकर खासतौर पर महिलाओं व बालिकाओं में जागरूकता आई है। इस अवसर पर सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, विधायक श्री गणेश जोशी, खजानदास, विनोद चमोली, सचिव सुशील कुमार भी उपस्थित थे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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