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प्रादेशिक

आईवीएफ विधि अब पहले से ज्यादा सफल और कम खर्चीलीः डॉ गीता खन्ना

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लखनऊ। बांझपन क्षेत्र में तकनीकी प्रगति जैसे एआरटी प्रजनन में स्टेम सेल और पीआरपी (प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा) ने आईवीएफ सफलता की दर और इसकी लागत पर असर डाला है, इसकी सफलता की दर पहले लगभग 50-60% थी, लेकिन अब यह बढ़कर 80% तक हो गयी है। यह जानकारी देते हुए प्रख्‍यात आईवीएफ विशेषज्ञ और अजंता अस्पताल व आईवीएफ सेंटर की निदेशक डॉ. गीता खन्ना ने दी। अस्पताल परिसर के लीला प्रेक्षागृह में हर साल होने वाले टेस्ट ट्यूब बेबी मीट के मौके पर मीडिया के समक्ष ये महत्वपूर्ण तथ्य रखते हुए उन्होंने बताया कि अब आईवीएफ विधि उन लोगों की पहुंच के दायरे में आ गई है जो पहले इसका खर्च नहीं उठा सकते थे, और यह सब संभव हुआ है अजंता हॉस्पिटल में आईवीएफ तकनीक में अत्याधुनिक प्रणाली से।

इस मौके पर डॉ. गीता खन्ना ने एचआरपी(हाई रिस्क प्रेगनेंनसी) और वूमेन वेलनेस क्लीनिक की नयी ओपीडी का शुभारम्भ प्रथम टेस्‍ट ट्यूब बेबी प्रार्थना के हाथों कराया। इस क्लीनिक की स्थापना का मकसद है प्रजनन के उन जटिल केसों का निवारण करना है जो गंभीर और जानलेवा तक साबित होते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब आईवीएफ तकनीक एक नये दौर में पहुंच गई है जहां अब बांझपन को अन्‍य बीमारी की तरह लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अब वो दिन नहीं रहे कि जब मैंने 25 साल पहले अपना कॅरिअर शुरू किया था और बांझपन को एक अभिशाप समझा जाता था, अब चीजें बहुत बदल गई हैं। डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि फ्रीज कराया हुआ भ्रूण, अंडे, स्टेम कोशिकाएँ और पीआरपी तकनीक ने आईवीएफ उपचार को नए आयाम दिए हैं जो इस विधि के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

डॉ गीता ने कहा, “स्टेम सेल और पीआरपी तकनीक ने आईवीएफ उपचार में नए आयाम जोड़े हैं और अब आईवीएफ रोगियों के इलाज में भी अधिक संभावनाएं हैं। उसने कहा कि भ्रूण को फ्रीज करने की प्रक्रिया ने भी आईवीएफ उपचार की लागत को प्रभावी बना दिया है। उन्होंने कहा कि अंडों को फ्रीज करने से इसे दूसरी बार गर्भधारण करने में भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। सेंटर पर ऐसे जोड़े आते हैं जो अपनी सहूलियत से दूसरे बच्‍चे की प्‍लानिंग कर फ्रीज किये हुए भ्रूण का इस्‍तेमाल गर्भधारण में करने की इच्‍छा जताते हैं।

उन्‍होंने बताया कि‍ अजंता हॉस्पिटल एक मल्टी स्पेशलिटी केंद्र होने के चलते हम आईवीएफ मरीजों को होने वाली कोई भी मेडिकल स्थिति का सामना कर एडवांस टरशरी केयर से बचाने में सक्षम हैं। यहां तक कि सिंगल स्पेशिलिटी सेंटर भी अपने मरीजो को हमारे यहां भेजते है। हर साल की तरह इस साल भी अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर के शनिवार को हुए मेगा बर्थडे इवेन्‍ट ‘टेस्‍ट ट्यूब कार्निवाल-2019’ में टेस्‍ट ट्यूब बेबी का सैलाब उमड़ा। इस मौके पर हॉस्पिटल के कॉरीडोर में अंदर और बाहर सब तरफ टेस्‍ट ट्यूब बेबी ही टेस्‍ट ट्यूब बेबी नजर आ रहे थे, इनमें हर उम्र के बच्‍चे शामिल थे। नवजात से लेकर अब 21 वर्ष के नवयुवक हो चुके टेस्‍ट ट्यूब बेबीज शामिल थे।

अपने माता-पिता के साथ इन सब बच्‍चों ने जहां अपनी गीता मां (आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ गीता खन्‍ना) का आशीर्वाद लिया वहीं गीता मां ने भी इन पर अपनी ममता लुटायी और इनको पुरस्‍कारों से नवाजा। समारोह में सबसे छोटे, सबसे बड़े और जिस टेस्‍ट ट्यूब बच्‍चे का 16 नवम्‍बर को बर्थ डे होता है, को विशेष पुरस्‍कार दिया गया। इसके अलावा अन्‍य सभी टेस्‍ट ट्यूब बेबी और उनके माता-पिता को भी पुरस्‍कार दिया गया। आपको बता दें कि दो दशक पहले बांझपन के गहरे अंधेरे को चीरने वाली रोशनी की एक किरण जो डॉ गीता खन्‍ना ने लखनऊ को दी थी, आज वह किरण चमकते हुए सूर्य की तरह अपना प्रकाश फैला रही है। ज्ञात हो लखनऊ की पहली टेस्‍ट ट्यूब बेबी ‘प्रार्थना’ का जन्‍म डॉ गीता खन्‍ना ने ही करवाया था।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भटिया एवं नानक चंद थे। महापौर ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि बच्‍चों की किलकारी की गूंज उन माताओं से पूछिये जिनकी गोद टेस्‍ट ट्यूब बेबी के माध्‍यम से भरी हैं। मां का जीवन संतान के बिना अधूरा है, सूनी गोद हमेशा की चुभन है, जीना दुश्‍वार कर देती है। उन्‍होंने टेस्‍ट ट्यूब बेबी की उपस्थित माताओें को सम्‍बोधित करते हुए कहा कि आप लोग कितनी भाग्‍यशाली हैं जिन्‍हें डॉ गीता ने ये खुशियां दी हैं, इसके लिए डॉ गीता के प्रयासों की जितनी तारीफ की जाये, वह कम है।

नानक चंद्र ने कहा कि मां का स्‍थान सर्वोपरि है और अगर किसी अवरोध के कारण जो लोग इस सुख से वंचित रह जाते हैं, उनके लिए आईवीएफ एक वरदान साबित हुआ है। इससे पूर्व हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉ अनिल खन्‍ना ने आये हुए सभी अतिथियों का स्‍वागत करते हुए कहा कि अजंता हॉस्पिटल की कोशिश हमेशा से सेवा को सर्वोपरि रखने की रही है, इसीलिए गुणवत्‍तापरक इलाज से अस्‍पताल कोई समझौता नहीं करता है। उन्‍होंने कहा कि अस्‍पताल के लिए यह गौरव की बात है कि वह संतान से वंचित जोड़ों के चेहरे पर मुस्‍कान लाने में अपनी उच्‍चकोटि की भूमिका निभा रहा है, इसी का नतीजा है कि आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ गीता खन्‍ना ने पिछले 21 सालों में लगभग 5000 से ज्‍यादा टेस्‍ट ट्यूब बेबी के जन्‍म अपनी देखरेख में कराये हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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