नेशनल
कोरोनाः दिल्ली-एनसीआर में हुए रिसर्च में सामने आई चौंका देने वाली सच्चाई
नई दिल्ली। कोरोना वायरस भारत में तेजी से अपने पांव पसार रहा है। 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान देश में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 18 गुना बढ़ गई है।
भारत में अब तक कुल 10363 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या में महाराष्ट्र और दिल्ली के लोग हैं। अभी तक किसी भी देश को कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता नहीं मिली है।
यही वजह है कि दुनिया का हर देश कोरोना को रोकने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर रहा है। इस बीच दिल्ली-एनसीआर में किए गए एक सर्वे में हैरान कर देने वाली बात सामने आई है।
राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में कोरोना को लेकर लोग कितने जागरुक हैं इस पर सर्वे किया जिसमें हैरान कर देने वाली बात सामने आई। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) में दावा किया है कि 55 फीसदी लोगों को यह जानकारी नहीं है कि सांस लेने की तकलीफ भी कोरोना का मुख्य लक्षण है।
एनसीएईआर ने यह सर्वे फोन द्वारा किया है। सर्वे के मुताबिक केवल 36.4 फीसदी लोग ही बता पाए कि बुखार, सर्दी, कफ और सांस लेने में परेशानी कोरोना वायरस के लक्षण हैं।
एनसीएईआर ने तीन से छह अप्रैल के बीच दिल्ली और एनसीआर के शहरी व ग्रामीण इलाकों से 1750 लोगों को चयनित कर उनसे फोन पर कुछ सवाल किए। नेशनल कैपिटल रीजन कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे (डीसीवीटीएस) में 94.9 फीसदी लोगों ने कोरोना वायरस को अत्यधिक खतरनाक बताया।
3.2 फीसदी इसे मामूली खतरनाक मानते हैं। 84.7 फीसदी लोग (ग्रामीण क्षेत्रों में 81.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 88.9 प्रतिशत) ने कोरोना वायरस का एक लक्षण बुखार होना बताया, जबकि 84.9 फीसदी लोगों ने माना कि कोरोना वायरस से खांसी होती है। केवल 44.6 फीसदी लोगों ने बताया कि कोरोना वायरस से सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
55.4 फीसदी लोग इससे अनजान थे। 36.4 फीसदी लोग ही कोरोना के लक्षणों के बारे में जानकारी दे सके। एनसीएईआर के अनुसार, अप्रैल और मई में इस सर्वे का दूसरा और तीसरा चरण भी पूरा किया जाएगा। अभी इसका पहला चरण ही जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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