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अन्तर्राष्ट्रीय

कोरोना पर हुआ बड़ा खुलासा, इस वजह से चली जाती है लोगों जान, बेबस रह जाते हैं डॉक्टर!

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस रोज हजारों की संख्या में लोगों की जान ले रहा है। इस वायरस से अब तक कुल 26 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं वहीं मरने वाले लोगों की संख्या 1 लाख 83 हजार हो गई है।

दुनिया का हर देश कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढने की कोशिश कर रहा है क्योंकि यह वायरस डॉक्टरों के सामने ही लोगों की जान ले ले रहा है। वायरस का कहर इस कदर लोगों पर टूट रहा है कि वैंटिलेटर भी काम नहीं आ रहा है।

ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्यों डॉक्टर इसे रोक नहीं पा रहे हैं? क्यों लोगों की जान बचाने में वेंटिलेटर भी नाकाम साबित हो रहे हैं? ऐसे सवालों जवाब आईए जानते हैं…

न्यूयॉर्क सिटी के बेलेउवे हॉस्पिटल के डॉक्टर रिचर्ड लेवितान दो दशकों से अपने मेडिकल के छात्रों को वेंटिलेटर्स के बारे में सबकुछ बता रहे हैं। कोरोना वायरस में एक ऐसी समस्या आ रही है जिसकी वजह से वैंटिलेटर भी काम नहीं कर पा रहा।

डॉ रिचर्ड ने बताया कि इस दिक्कत का नाम है हाइपोक्सिया। इसे सामान्य भाषा में कहेंगे शरीर के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा का गिरना या कम हो जाना। डॉ. रिचर्ड लेवितान ने कहा कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के फेफड़ों में कफ या म्यूकस या फ्लूड भरा होता है।

इसके बावजूद उन्हें सांस लेने में दिक्कत नहीं होती. जब तक स्थिति बहुत ज्यादा न बिगड़ जाए। डॉक्टर रिचर्ड ने बताया कि लेकिन अब कम ऑक्सीजन से मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हाइपोक्सिया की वजह से शरीर में ऑक्सीजन कम होने लगता है।

शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। आखिरकार मरीज की मौत हो जाती है। ये खबर डेली मेल वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है।
हाइपोक्सिया की दिक्कत तब होती है जब आपके शरीर में मौजूद खून में ऑक्सीजन की मात्रा घटती है। इसकी वजह नसों के टिश्यू खराब होने लगते हैं। धीरे-धीरे यह प्रक्रिया पूरे शरीर में होने लगती है।

डॉ. रिचर्ड ने बताया कि हाइपोक्सिया की दिक्कत बिना बताए आती है। यानी अचानक ही मरीज के शरीर में मौजूद ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगेगा। कुछ ही मिनटों में मरीज का दिल, दिमाग, लिवर और अन्य अंग काम करना बंद कर देते हैं।

रिचर्ड ने बताया कि अब तो कोरोना वायरस के उन मरीजों को भी हाइपोक्सिया की दिक्कत हो रही है जिन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं थी। हालांकि, जब इन मरीजों के सीने का एक्स-रे निकाला गया तो पता चला कि इन्हें निमोनिया है। इनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम है।

उन्होंने समझाया कि जब किसी को निमोनिया होता है तो उसके फेफड़ों में मौजूद हवा के लिए बनी जगहों पर कफ या म्यूकस भर जाता है। इसकी वजह से मरीज को सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होती है।

इसके उलट, कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज को निमोनिया होता है तो उसे ऐसा कोई दर्द या सांस लेने में तुंरत दिक्कत नहीं आती। लेकिन जब सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत शुरु होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो चुका होता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात

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ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।

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