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मर्ज बढ़ता गया ज्‍यों-ज्‍यों दवा की

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भारतीय संघ के अभिन्न अंग जम्मू –कश्मीनर, पाकिस्तारन के समर्थन में नारेबाजी, पाकिस्ता्नी झंडा फहराने, मुख्ययमंत्री मुफ्ती मोहम्मलद सईद, कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मर्सरत आलम की रिहाई, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, अलीशाह गिलानी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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भारतीय संघ के अभिन्न अंग जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर राजनीतिक पारा एकबार फिर गर्मा गया है। ताजा विवाद अलगाववादियों द्वारा पाकिस्‍तान के समर्थन में नारेबाजी और पाकिस्‍तानी झंडा फहराने को लेकर है लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। आप सांप को दूध पिलाएं और उम्‍मीद करें कि वो समय आने पर आपको डसेगा नहीं तो यह आपका अतिआशावाद है।

भाजपा ने जब पी‍डीपी को समर्थन देकर घाटी में पहली बार अपनी सरकार बनवाई थी उसी समय के घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया था कि यह फैसला भाजपा के लिए गले की हड्डी साबित होने वाला है। मुख्‍यमंत्री मुफ्ती मोहम्‍मद सईद द्वारा शपथ लेने के तत्‍काल बाद दिया गया विवादित बयान हो अथवा कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मर्सरत आलम की रिहाई, मुफ्ती सरकार के लगभग हर फैसले ने भाजपा की भद्द पिटवाई।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्‍व को अपने इस फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए नहीं तो वही कहावत सही साबित होगी कि अब पछताये होत क्‍या जब चिडि़या चुग गई खेत। वैसे जिस तरह घाटी के अलगाववादियों से भारत भक्ति की उम्‍मीद नहीं की जा सकती उसी तरह मैदानी क्षेत्र के कुछ अलगाववादी सोच वाले नेताओं से भी विवादरहित बयान की उम्‍मीद नहीं की जा सकती।

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने एकबार फिर मर्सरत आलम व अलीशाह गिलानी जैसे देशद्रोहियों को ‘साहब’ के जुमले से संबोधित कर मुफ्ती सरकार से यह पूछा है कि इन ‘साहबों’ को भारतीय संविधान की किन धाराओं के तहत नजरबंद किया गया है? अब दिग्विजय तो दिग्विजय हैं आप उनसे इससे ज्‍यादा समझदारी की उम्‍मीद भी नहीं कर सकते।

मगर सवाल यह उठता है कि एक तरफ जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में भारत की कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं, एक तरफ जब दुनिया के सबसे ताकतवर देश का सबसे ताकतवार इंसान यानी कि अमेरिका का राष्‍ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का लोहा मान रहा है तो हमें यह सोचना होगा कि इस तरह की घटनाएं क्‍या दुनिया का ध्‍यान हमारी तेजी से बढ़ती ताकत और भारत के प्रधानमंत्री की विश्‍व नेता बनने की राह में रोड़ा अटकाने की कोई अंतर्राष्‍ट्रीय साजिश तो नहीं? जिसमें भारत की दिनोदिन होती तरक्‍की से जलन रखने वाले परेशान पड़ोसी देश और इन अलगाववादियों की मदद ली जा रही है।

जो भी हो भारत को दुनिया की एक बड़ी ताकत बनने से कोई रोक नहीं सकता, इस तरह के रोड़े तो बिल्‍कुल भी नहीं लेकिन फिर भी भारत की सुरक्षा एजेंसियों और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इन घटनाओं को हल्‍के में लेने की जरूरत नहीं है। वैसे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की फटकार के बाद मुफ्ती मोहम्‍मद सईद ने सही कदम उठाया और इन अलगाववादियों को गिरफ्तार कर एक कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। वैसे देर सबेर भाजपा को यह समझ में जरूर आ जाएगा कि केंद्र में इतने मजबूत बहुमत के साथ काबिज होने के बाद घाटी में पीडीपी की सरकार बनवाना एक गलत फैसला था। भाजपा को जितना जल्‍द हो सके पीडीपी की सरकार से अलग हो जाना चाहिए।

 

 

 

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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