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प्रादेशिक

स्वतंत्रता की रक्षा में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण : प्रणब

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पटना। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि गणतंत्र की स्थापना के बाद समानता, न्याय और स्वतंत्रता की रक्षा में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट का एक स्वर्णिम इतिहास रहा है और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उसके अहम योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ़ राजेन्द्र प्रसाद ने भी वकालत की थी। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार में पटना में ही वकालत करने वाले रविशंकर प्रसाद पहले कानून मंत्री बने हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान की रक्षा और मूलभूत अधिकारों के संरक्षण में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि तमाम ऐतिहासिक फैसलों का गवाह रहा पटना उच्च न्यायालय अपने सौ साल पूरे कर रहा है। इस अवसर पर शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया है।

उन्होंने न्याय प्रणाली में उच्च तकनीक के प्रयोग करने की वकालत करते हुए कहा कि आज न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। लोगों को जल्द न्याय मिल सके इसलिए मामलों को जल्द निपटाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा, “नई तकनीक के इस्तेमाल से जरूरतमंदों को समय पर न्याय मिल सकेगा।” राष्ट्रपति ने बिहार की सराहना करते हुए कहा कि बिहार से तीन ऐसे न्यायाधीश हुए जो भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। इसमें न्यायमूर्ति बी़ पी़ सिन्हा, एल़ एम़ शर्मा और न्यायमूर्ति आऱ एस़ लोढ़ा शामिल रहे।

इसके पूर्व पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह का उद्घाटन राष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच़ एल़ दत्तू भी मौजूद थे। राष्ट्रपति के पटना उच्च न्यायालय पहुंचने पर खास धुन बजाकर उनका स्वागत किया गया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायप्रणाली काफी पुरानी व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के लोगों के लिए ही नहीं यह पूरे बिहार के लिए खुशी का मौका है।

न्यायमूर्ति दत्तू ने पटना उच्च न्यायालय के स्वर्णिम इतिहास को याद किया तथा कानून का राज स्थापित करने में पटना उच्च न्यायलय के योगदान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने पटना को महापुरुषों की धरती बताया और कहा कि यह आर्यभट्ट, सम्राट अशोक, चाणक्य और गुरु गोविन्द सिंह की कर्मभूमि है। केन्द्रीय कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि केन्द्र सरकार लंबित मामलों की संख्या घटाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने न्याय प्रणाली को आसान बनाने पर भी जोर दिया। केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पटना उच्च न्यायालय के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए कहा कि यह न्यायालय लोकतंत्र का प्रमुख स्तंभ है और यह विशिष्ट स्थान रखता है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि कानून का राज स्थापित करने में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से न्यायपालिका को पूरा सहयोग देने का वादा किया। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एल़ नरसिम्हा रेड्डी ने कहा, “बिहार महापुरुषों की धरती रही है। पटना उच्च न्यायालय में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने भी वकालत की है। यह इसके गौरव को और बढ़ाता है।”

राष्ट्रपति ने इस मौके पर एक डाक टिकट भी जारी किया। उल्लेखनीय है कि इस समारोह में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति शुक्रवार को ही पटना पहुंच गए थे। पटना उच्च न्यायालय के एक सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में यह वर्ष शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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