लाइफ स्टाइल
..यूं हमेशा नए रहेंगे चमड़े के उत्पाद
नई दिल्ली। खुद को औरों से अलग दिखाने के लिए चमड़े से बने उत्पादों का इस्तेमाल करना जितना आसान है, उन्हें नए जैसा बनाए रखना उतना ही मुश्किल है। विशेषज्ञों का कहना है कि चमड़े से निर्मित सामान को नए जैसा बनाए रखने के लिए रसायन युक्त डिटर्जेट का इस्तेमाल न करें, बल्कि इसकी जगह पर ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल) या सिरके का प्रयोग करें। फैशन एवं जीवनशैली से संबंधित वेबसाइट ‘फैशन एंड यू’ के महाप्रबंधक (बिक्री एवं सोर्सिग) उत्सव मल्होत्रा ने यहां कुछ टिप्स दिए हैं। ये टिप्स चमड़े के उत्पादों को हमेशा नया बनाए रखने में मदद करेंगे।
धाग-धब्बे छुड़ाएं : टार्टर (एक किस्म का नमक) और नींबू के रस को समान मात्रा में लें और दाग-धब्बों को इससे भिगोकर 10 से 15 मिनट तक छोड़ दें। बाद में उस हिस्से को हाथों से हल्का रगड़ें। उसके बाद डिटर्जेट में भीगे कपड़े से दाग को साफ करें। बाद में दाग वाली जगह को तौलिए की मदद से सुखा लें। यह तरीका चमड़े के कपड़ों पर लगे गहरे दागों को छुड़ाने में सहायक है।
कड़क डिटर्जेट या साबुन का प्रयोग नहीं : अन्य कपड़ों की तरह ही चमड़े के कपड़े भी नाजुक होते हैं। उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। चमड़े की जैकेट, बैग एवं बूट की सलामती के लिए ब्लीच, अमोनिया वाले डिटर्जेट व वार्निश का प्रयोग कतई न करें।
फफूंद हटाएं : सबसे पहले चमड़े के सामान को पूरी तरह नमी मुक्त कर लें। भीगे हुए कपड़े की मदद से उस पर लगी फफूंद हटा लें। उसके बाद उसे सूखने के लिए छोड़ दें। फफूंद हटाने के लिए माइल्ड क्लींजर जैसे बेबी शैंपू का इस्तेमाल करें। फफूंद को दूर रखने के लिए चमड़े के उत्पादों को दो सप्ताह में एक बार धूप जरूर लगाएं।
जैतून का तेल : यह चमत्कारी तेल न केवल आपकी त्वचा व बालों के लिए, बल्कि चमड़े की जैकेट एवं बैग के लिए भी फायदेमंद है। एक कटोरी में जैतून का तेल लें। एक मुलायम कपड़े को इसमें डुबोएं और चमड़े के उत्पाद पर लगे मैल व कालिख को इससे साफ करें।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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