प्रादेशिक
मप्र का जल सत्याग्रह : आप और सरकार आमने-सामने
भोपाल | मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध के प्रभावितों को बाजिव मुआवजा और पुनर्वास नीति का लाभ दिए बगैर जलस्तर बढ़ाए जाने के विरोध में चल रहे जल सत्याग्रह को लेकर प्रदेश सरकार और आम आदमी पार्टी (आप) आमने-सामने आ गए हैं। आप ने जहां सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाया, वहीं सरकार आप के विरोध को आधारहीन करार दे रही है। ओंकारेश्वर बांध का जल स्तर बढ़ाए जाने से कृषि भूमि के डूब में आने और कई परिवारों के प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन और आप ने 11 अप्रैल से खंडवा जिले के घोगलगांव में जल सत्याग्रह शुरू किया है। आंदोलनकारी पुनर्वास नीति के तहत जमीन के बदले जमीन देने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मुआवजा दिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
पिछले 11 दिनों से घोगलगांव में जल सत्याग्रह चल रहा है। इस आंदोलन को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि एक गंभीर व जटिल मुद्दे पर चर्चा के लिए आपसे कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर आप के व्यस्त हेाने के कारण संपर्क नहीं हो पाया। केजरीवाल ने पत्र में आगे लिखा है, “नर्मदा घाटी में ओंकारेश्वर बांध को लेकर काफी दिनों से आंदोलन चल रहा है, मैं भी इस आंदोलन से जुड़ा रहा हूं। आपकी सरकार, न्यायालय और मैं भी यही चाहता हूं कि प्रभावितों का उचित पुनर्वास हो, अगर पुनर्वास से पहले उन्हें हटाया जाता है तो यह उनके साथ अन्याय होगा।” केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि डूब प्रभावित 10 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, इन आंदोलनकारियों से वार्ता कर समाधान निकालें।
एक तरफ केजरीवाल का पत्र आया है तो दूसरी ओर राज्य सरकार के नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने मंगलवार को एक बयान जारी कर आंदोलन का आधारहीन करार दिया। उनका कहना है कि ओंकारेश्वर नहर से हजारों किसानों को सिंचाई का लाभ देने का विरोध समझ से परे है। उन्होंने कहा कि विरोध का औचित्य इसलिए भी नहीं है कि नहर चलाने के लिए जलाशय का स्तर 191 मीटर बढ़ाया गया है, ऐसा करने से कोई भी घर, गांव या आबादी डूब के प्रभाव में नहीं आया है। राज्य सरकार ने 15 अप्रैल को ‘आबादी विहीन क्षेत्र’ की हवाई फोटोग्राफी कराई है, तस्वीरों से बिल्कुल स्पष्ट है कि कथित जल सत्याग्रह का कोई औचित्य नहीं है।
आर्य ने कहा कि राज्य सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने परियोजना प्रभावितों के प्रति पूरी संवेदनशीलता दिखाई है। पुनर्वास नीति में उपलब्ध भौतिक और आर्थिक सुविधाओं के अतिरिक्त 225 करोड़ का विशेष पैकेज डूब प्रभावित परिवारों को दिया गया है। महज कुछ लोग ही जलस्तर बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे विरोध के कारण हजारों किसानों के हितों की अनदेखी नहीं की जा सकती। उल्लेखनीय है कि खंडवा में 11 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे लोगों के पैर अब गलने लगे हैं, खून रिसना शुरू हो गया है। उनके पैर मछलियों का निवाला बन रहे हैं, मगर सरकार की ओर से कोई उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है। मंत्री ने तो जल सत्याग्रह के औचित्य पर ही सवाल उठा दिया है।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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