नई दिल्ली। दिल्ली की नई शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सिसोदिया का भी नाम लिया है। अब उन्हें जमानत मिलने की संभावना भी कम हो गई है।
दरअसल, भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है वरना आरोपी स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है। सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और 58वें दिन चार्जशीट दाखिल कर दी।
एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की कुछ धाराओं के अलावा सेक्शन 201 (सबूत नष्ट करने) और 420 (धोखाधड़ी) भी जोड़ा है। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सीबीआई की चार्जशीट में और क्या-क्या है, जिससे सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
चार्जशीट में लगाए गए यह आरोप
1.चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति को लेकर एक्सपर्ट समिति की सिफारिशों को GoM (मंत्रियों के समूह) ने पलट दिया था। इस GoM के हेड सिसोदिया ही थे।
2.इसी GoM ने कमीशन 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया था।
3.गैरकानूनी तरीके से मिले पैसे के बदले ‘साउथ लॉबी’ के इशारे पर GoM ने 12 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान जोड़ा। यह साउथ ग्रुप दिल्ली में ही डटा हुआ था, जब GoM रिपोर्ट फाइनल की गई। आखिरी मिनट में कई नियम जोड़े गए।
4.चार्जशीट में आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग) और 201 (सबूत नष्ट करना) जोड़ी गई है।
5.आबकारी नीति से संबंधित कानूनी सलाह पर एक नोट गायब है। कानूनी सलाह दी गई थी कि पुरानी नीति ठीक है और इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं है।
6.साउथ ग्रुप के लिए होलसेल डिस्ट्रिब्यूटर के लाइसेंस सिसोदिया के निर्देश पर दिए गए जबकि खिलाफ में कई शिकायतें मिली थीं।
7.मोबाइल फोन गायब होने के कारण सीबीआई का मानना है कि बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट किए गए हैं।
8.सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है।
एजेंसी की चार्जशीट में हैदराबाद निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट बच्ची बाबू गोरांतला, शराब कारोबारी अमनदीप सिंह ढल और अर्जुन पांडेय के भी नाम हैं। इनमें से सिसोदिया और ढल जेल में हैं। सीबीआई ने पिछली चार्जशीट 25 नवंबर 2022 को दायर की थी।