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सुसाइड ‘फैक्ट्री’ बन रहा कोटा, अब NEET की छात्रा ने दी जान; आठ महीनें में 24वां मामला

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Kota is becoming a suicide factory

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कोटा (राजस्थान)। झारखंड की 16 वर्षीय NEET अभ्यर्थी ने राजस्थान के कोटा जिले के विज्ञान नगर इलाके में अपने छात्रावास के कमरे में पर फांसी लगा ली। इस घटना की जानकारी पुलिस ने बुधवार को दी। विज्ञान नगर पुलिस स्टेशन के उप-निरीक्षक के सहायक अमर चंद ने बताया कि ऋचा सिन्हा, जो राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रही थी, मंगलवार देर रात अपने छात्रावास के कमरे में लटकी हुई पाई गई।

उन्होंने कहा, पुलिस को मंगलवार रात करीब 10.30 बजे सिन्हा की मौत की जानकारी उस निजी अस्पताल से मिली, जहां उन्हें ले जाया गया था। झारखंड के रांची के रहने वाले सिन्हा 11वीं कक्षा के छात्र थे और उन्होंने शहर के एक कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया था।

चंद ने कहा, वह इस साल की शुरुआत में कोटा आई थीं। उनके कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है और पुलिस आत्महत्या के पीछे के कारण की जांच कर रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए एमबीएस अस्पताल भेजा गया है। कोटा में इस साल किसी कोचिंग संस्थान के छात्र द्वारा आत्महत्या का यह 23वां मामला है। पिछले साल कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे पंद्रह छात्रों ने आत्महत्या कर ली।

इस महीने में हुई सबसे ज्यादा मौत

बीते 8 महीने में कोटा की कोचिंग संस्थाओं में UP-बिहार समेत कई राज्यों से पढ़ने आए 23 बच्चों ने पढ़ाई के बोझ में दबकर जान दे दी है। सबसे ज्यादा 7 आत्महत्या के मामले अगस्त और जून महीने में सामने आए हैं। वहीं, जुलाई में 2 और मई में 5 आत्महत्या के मामले आए हैं।

पंखे से लटक कर और हॉस्टल से कूद कर दे रहे जान

कोटा के कई हॉस्टलों से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले पंखे से लटककर जान देने के आए हैं। कई बच्चों ने तो हॉस्टल की छत से कूदकर ही जान दे दी। सबसे चौंकाने वाला मामला 14 जून का था। जब महाराष्ट्र से आए माता-पिता से मिलने के तुरंत बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी।

क्यों आत्महत्या कर रहे हैं बच्चे?

  • कोटा में छात्रों द्वारा लगातार आत्महत्या करने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसा करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है। इसके पीछे बच्चों के माता-पिता को भी वजह माना जाता है।
  • कई विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि माता-पिता बच्चों को खुद किसी से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को बोलते हैं।
  • कई बार बच्चों में आपस में दोस्ती नहीं होती है जिसके कारण वो एक दूसरे से कोई भी बात शेयर नहीं कर पाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं।
  • सालों से तैयारी करने और कोचिंग संस्थाओं में लाखों की फीस भरने के बावजूद जब बच्चों का सिलेक्शन नहीं होता है, तब भी कई बच्चे सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं।

8 महीने में 24 छात्रों ने की आत्यहत्या

कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के मामले में कमी नहीं आ रही है। हर दिन कोटा से छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। छात्रों के माता-पिता में भी अब उन्हें कोटा भेजने से डर रहे हैं। कई छात्रों के माता-पिता उनके साथ कोटा में ही रहने लगे हैं, जिससे वह उनका ध्यान रख सके। वहीं, अब तक बीते 8 महीनों में कुल 24 बच्चों ने आत्महत्या कर ली है।

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सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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