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प्रादेशिक

जयललिता मामले में डीएमके नेता ने अपना पक्ष रखा

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चेन्नई/नई दिल्ली। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद डीएमके नेता के.अनबझागन ने कर्नाटक हाईकोर्ट में अपना लिखित पक्ष रखा।

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता ने बताया, “हमने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिले निर्देश के अनुसार बंगलुरु हाईकोर्ट में लिखित पक्ष रखा है। लिखित पक्ष करीब 80 पृष्ठों का है।” सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे में तमिलनाडु सरकार द्वारा विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) की नियुक्ति को कानूनी रूप से गलत ठहराया है। डीएमके नेता तथा पेशे से वकील अनबझागन ने न्यायालय के फैसले को सकारात्मक करार दिया और कहा कि उच्च न्यायालय को फैसला करते वक्त एसपीपी भवानी सिंह की बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब कर्नाटक सरकार को अपना पक्ष रखना है। उन्होंने कहा, “अब इस मामले पर फैसला अनबझागन, कर्नाटक सरकार, जयललिता के वकील की दलील और बेंगलुरू की निचली अदालत के उस फैसले के आधार पर किया जाएगा, जिसमें जयललिता तथा अन्य को दोषी ठहराया गया है।”

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की पीठ ने भवानी सिंह की नियुक्ति को दोषपूर्ण करार दिया और यह भी कहा कि आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता की याचिका पर आगे सुनवाई की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार के पास भवानी सिंह को एसपीपी के तौर पर नियुक्त करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि न्यायालय में मामला कर्नाटक सरकार चला रही है, लिहाजा एसपीपी की नियुक्ति का अधिकार कर्नाटक सरकार के ही पास है।

डीएमके नेता अनबझागन ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से की गई नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। तमिनलाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता एवं तीन अन्य आरोपियों को 27 सिंतबर, 2014 को बेंगलुरू की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया था। जयललिता ने अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी। बेंगलुरू की अदालत ने जयललिता को चार साल कारावास की सजा सुनाई थी और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

जयललिता के अतिरिक्त उनकी सहयोगी एन. शशिकला, वी. एन. सुधारकरन और जे. इलावारसी को भी सजा सुनाई गई थी। इन तीनों ने भी उच्च न्यायालय में अपील की थी। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने 17 अप्रैल को खंडित फैसला सुनाया था, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा था कि भवानी सिंह की नियुक्ति से कर्नाटक उच्च न्यायालय की सुनवाई प्रभावित हुई है, जबकि न्यायमूर्ति भानुमति को भवानी सिंह की नियुक्ति में कानूनी गड़बड़ी नजर नहीं आई थी।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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