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योगी सरकार के प्रयास से सब मिलकर फिर करेंगे यूपी को हरा-भरा

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लखनऊ। प्रकृति व परमात्मा की असीम कृपा वाले उत्तर प्रदेश को हरा-भरा बनाए रखने के लिए योगी सरकार की पहल पर सब मिलकर कार्य करेंगे। योगी सरकार ने सबका साथ और सबके प्रयास की बदौलत इस वर्ष भी 35 करोड़ पौधरोपण व उनके संरक्षण का लक्ष्य रखा है। प्रदेश के हरित क्षेत्र को 9 से बढ़ाकर 2026-27 तक 15 फीसदी तक ले जाना है। इसके लिए जनसहयोग भी जरूरी है। वहीं प्रदेशव्यापी अभियान में सभी विभागों व मंडलों के लिए भी लक्ष्य निर्धारण किया गया है। योगी सरकार का यह भी निर्देश है कि हर किसी को उच्च गुणवत्ता के पौधे सुलभता से मिल सकें, इसके लिए विधिवत तैयारी भी की जाए।

विभागवार तय किया गया लक्ष्य

योगी सरकार सभी के सहयोग से इस लक्ष्य को प्राप्त करेगी। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ ही सकुशल पौधरोपण को लेकर विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। 35 करोड़ पौधे के लिए वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन की ओर से 14 करोड़, ग्राम्य विकास विभाग को 12.59 करोड़, कृषि को 2.50 करोड़, उद्यान विभाग 1.55 करोड़, पंचायती राज को 1.28 करोड़, राजस्व को 1.06 करोड़, नगर विकास को 35 लाख, उच्च शिक्षा को 18 लाख, रेशम को 14 लाख, लोक निर्माण, रेलवे व जलशक्ति को 13-13 लाख, बेसिक शिक्षा को 12 लाख, स्वास्थ्य विभाग को 11 लाख, उद्योग को 9 लाख, औद्योगिक विकास व माध्यमिक शिक्षा विभाग को आठ-आठ लाख, गृह-पशुपालन को सात-सात लाख, ऊर्जा व सहकारिता को छह-छह लाख, आवास विकास, रक्षा व प्राविधिक शिक्षा को पांच-पांच लाख, श्रम व परिवहन विभाग को तीन-तीन लाख पौधरोपण का लक्ष्य दिया गया है।

18 मंडलों में भी लगेंगे पौधे, सर्वाधिक लखनऊ मंडल में

अभियान के तहत सभी 18 मंडलों में भी पौधे लगाए जाएंगे। सबका लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। सबसे अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य लखनऊ मंडल को दिया गया है। लखनऊ मंडल में चार करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। कानपुर मंडल में 3.13 करोड़, चित्रकूट में 2.76 करोड़, झांसी में 2.58 करोड़, मीरजापुर में 2.27 करोड़, अयोध्या में 2.20 करोड़, देवीपाटन में 1.95 करोड़, प्रयागराज में 1.89 करोड़, बरेली में 1.87 करोड़, वाराणसी में 1.78 करोड़, मुरादाबाद में 1.76 करोड़, आगरा में 1.74 करोड़, गोरखपुर में 1.43 करोड़, आजमगढ़ में 1.34 करोड़, अलीगढ़ में 1.20 करोड़, मेरठ मंडल में 1.14 करोड़, बस्ती में 1.08 करोड़ व सहारनपुर मंडल में 88 लाख पौधे लगेंगे। पौधरोपण स्थलों की जियो टैगिंग भी होगी। वहीं मंडलों में वन विभाग की तरफ से 12.60 करोड़ व अन्य विभाग मिलकर लगभग 22.40 करोड़ पौधे लगाएंगे।

पौधरोपण के लिए इन भूमि का किया गया चयन

योगी सरकार ने अफसरों को निर्देश दिया है कि पौधरोपण हर जगह हो, जिससे पूरे प्रदेश में हरियाली लहलहाए। वन भूमि, ग्राम पंचायत व सामुदायिक भूमि, एक्सप्रेसवे व नहरों के आसपास, विकास प्राधिकरण औद्योगिक परिसर भूमि, रक्षा-रेलवे की भूमि, चिकित्सा संस्थान-शिक्षण संस्थान की भूमि, अन्य राजकीय भूमि, कृषकों का सहयोग लेते हुए उनकी निजी भूमि, नागरिकों की ओर से निजी परिसर में पौधरोपण कर यूपी को हरा-भरा किया जाए।

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उत्तर प्रदेश

कौन है भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़ में गई सैकड़ों जानें

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। मृतकों में अभी कईयों की पहचान नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। इस बीच एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वह भोले बाबा कौन है, जिनका सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें।भोले बाबा के नाम से विख्यात बाबा पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय हैं। इनका सत्संग सुनने के लिए आसपास के राज्यों से भी लोग आते हैं और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।

भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। उनका दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। उनका दावा है कि 18 साल की नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। बताया जाता है कि कई IAS-IPS भी उनके भक्त हैं। उनके सत्संग नें बड़े नेता और अधिकारी भी पहुंचते हैं। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।

आपको बता दें कि भोले बाबा अन्य लोगों की तरह भगवाधारी ना होकर सफेद सूट और सफेद जूता पहनते हैं। इसके उलट बाबा के सेवादार काले कपड़ों में दिखाई देते हैं। ये सेवादार प्रत्येक मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी जैसे भोजन, पानी और ट्रैफिक संभालते हैं। बाबा की खासियत है कि भले ही उनके सोशल मीडिया पर ढेरों फालोवर ना हों लेकिन जमीनी स्तर पर बाबा के लाखों भक्त हैं।

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