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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ 2025 : धर्म के साथ जैव विविधता के संरक्षण का मंच बनेगा प्रयागराज महाकुंभ

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प्रयागराज | भारतीय संस्कृति में धर्म और प्रकृति के बीच पूरकता का संबंध है। प्राकृतिक उपादानों को धार्मिक प्रतीकों के साथ जोड़कर प्रकृति संरक्षण का जो संकल्प हमारी धार्मिक परम्पराओं और विश्वास में निहित है उसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और समृद्ध कर रही है। सरकार की इस सोच को धरातल में उतारने के लिए महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।

जैव विविधता और प्रकृति संरक्षण का मंच बनेगा महाकुंभ

भारतीय संस्कृति की पहचान प्रकृति संरक्षण की संस्कृति के रूप में भी की जाती है। इस संस्कृति में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों को धार्मिक प्रतीकों और मानवीय रिश्तों से जोड़कर प्रकृति के संतुलन का जो संदेश छिपा है उसमें पवित्र नदियों के किनारे महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक समागम भी शामिल हैं। इसी संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन कर रही है। प्रभागीय वनाधिकारी प्रयागराज अरविंद कुमार बताते हैं कि प्रयागराज महाकुंभ में 1-2 फरवरी, 2025 को बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाना है। इसका प्रस्ताव शासन के पास भेजा जा रहा है। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति युवाओं में जागरूकता पैदा करना है।

इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा

इसके अलावा इसके आयोजन से प्रकृति आधारित इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। आयोजन में उत्तर प्रदेश के जैव विविधता से भरपूर वन्यजीव रिजर्व और अभयारण्यों की जानकारी साझा होगी। वन विभाग यूपी पर्यटन के साथ मिलकर राज्य के जंगल, ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता के समृद्ध भंडार में खूबसूरत सर्किट बनाने की कार्य योजना में भी मदद मिलेगी।

कुंभ की आस्था, प्रकृति संरक्षण और जलवायु परिवर्तन होगी थीम

महाकुंभ के आयोजन की वजह से प्रयागराज में इसका आयोजन सुनिश्चित किया गया है। वैसे प्रयागराज पक्षियों की प्रजाति को देखते हुए एक समृद्ध जनपद कहा जाता है जहां विभिन्न पक्षियों की 90 प्रजातियां मौजूद हैं। जिले के कई वेटलैंड इसके लिए आश्रय प्रदान करते हैं। इस बार के बर्ड फेस्टिवल की थीम ‘कुंभ की आस्था, प्रकृति संरक्षण और जलवायु’ रखी गई है। डीएफओ प्रयागराज के मुताबिक इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव में बर्ड फेस्टिवल के साथ तय की गई थीम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषय विशेषज्ञों के साथ परिचर्चा का आयोजन भी किया जायेगा। कई पैनल डिस्कशन भी होंगे जिसमें साधु संतो को भी शामिल किया जाएगा।
आसपास के क्षेत्रों के शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों को भी इसमें जगह दी जाएगी। इसमें साइट विजिट की भी योजना शामिल है। पक्षी विज्ञान, प्रकृति संरक्षण और वन्यजीव पर्यटन और फोटोग्राफी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए इसमें फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित होगी।

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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ 2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों के अलावा 550 शटल बसें संचालित करेगा परिवहन निगम

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लखनऊ/प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उ0प्र0 परिवहन निगम दिव्य, भव्य एवं ग्रीन महाकुम्भ मेला-2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों को संचालित करेगा। परिवहन निगम प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सुगम, सस्ती एवं आरामदायक सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।

महाकुम्भ मेला में सड़क मार्ग से पूर्वाचल से अधिक संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इसके दृष्टिगत पूर्वांचल के छोटे-छोटे कस्बों से मेला स्थल को जोड़ते हुए बसों के संचालन की योजना परिवहन निगम ने तैयार की है। महिला एवं वृद्ध तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई गयी है।

3 चरणों में संचालन

एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान मुख्य स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच पड़ रहे, जिसमें मौनी अमावस्या का शाही स्नान 29 जनवरी एवं बसंत पंचमी का शाही स्नान 03 फरवरी, 2025 को है। महाकुम्भ 2025 के दौरान लगभग 6800 परिवहन बसें एवं लगभग 200 वातानुकूलित बसों का संचालन किये जाने की योजना है।

प्रथम चरण में 12 जनवरी से 23 जनवरी तक द्वितीय चरण में 24 जनवरी से 07 फरवरी तक एवं तीसरे चरण में 08 फरवरी से 27 फरवरी तक तीन चरणों में महाकुम्भ मेले में संचालन को बाटा गया है। निगम के कुल 19 क्षेत्रों से लगभग 165 मार्गों पर निगम की बसों का संचालन किया जायेगा।

550 शटल बसें चलाई जाएंगी

एमडी परिवहन निगम ने बताया कि बसों के अतिरिक्त 550 शटल बसें विभिन्न स्थाई एवं अस्थाई बस स्टेशनों एवं विभिन्न मार्गों पर निर्धारित वाहन पार्किंग स्थलों से संगम तट के निकट स्थित भारद्वाज पार्क एवं भारत स्काउट गाइड कालेज बैक रोड तक तथा लेप्रोसी बस स्टेशन व अंधावा बस स्टेशन तक संचालित किये जाने की योजना है।

उन्होंने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर शश्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने के कारण शास्त्रीपुल, फाफामऊ पुल एवं यमुना पुल यातायात हेतु प्रतिबंधित रहने की स्थिति में शहर के बाहर कुल 08 अस्थाई बस स्टेशन गठित किये जायेंगे, जिसमें झूसी बस स्टेशन, दुर्जनपुर बस स्टेशन, सरस्वतीगेट बस स्टेशन, नेहरू पार्क बस स्टेशन, बेली कछार बस स्टेशन, बेला कछार बस स्टेशन, सरस्वती हाइटेक सिटी मेनू एवं लेप्रोसी मिशन बस स्टेशन हैं।

इन मार्गों प्रभाग संचालन

एमडी ने बताया कि झूसी बस स्टेशन से दोहरी घाट, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, खजनी, सीकरीगंज, गोरखपुर मार्ग, आजमगढ़-बलिया-मऊ व सम्बद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा। दुर्जनपुर बस स्टेशन का उपयोग झूसी बस स्टेशन की बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर किया जायेगा।

इसी प्रकार सरस्वतीगेट बस स्टेशन से बदलापुर, शाहगंज, टांडा व सम्बद्ध मार्ग एवं वाराणसी एवं संबद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा, नेहरू पार्क बस स्टेशन से कानपुर एवं कौशाम्बी को संबद्ध मार्ग के लिए, बेला कछार बस स्टेशन से रायबरेली लखनऊ व संबद्ध मार्ग एवं फैजाबाद, अयोध्या, गोण्डा, बस्ती, बहराइच व संबद्ध मार्ग के लिए, सरस्वती हाइटेक सिटी नैनी से विन्ध्यांचल, मिर्जापुर, शक्तिनगर व संबद्ध मार्ग के लिए, लैप्रोसी मिशन बस स्टेशन से बांदा-चित्रकूट व संबद्ध मार्ग एवं रीवा-सीधी व संबद्ध मार्ग के लिए संचालन किया जायेगा।
नेहरू पार्क बस स्टेशन पर बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर बसों का संचालन बेली कछार बस स्टेशन से किया जायेगा।

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