उत्तराखंड
वायु सेना ने उत्तराखंड सरकार को भेजा 213 करोड़ का बिल, आपदा के दौरान की थी सहायता
देहरादून। आपदा के दौरान सहायता करने के एवज में वायु सेना ने राज्य सरकार को 213 करोड़ का बिल भेजा है। सरकार इन बिलों का सत्यापन करा रही है। सत्यापन के बाद प्रदेश सरकार केंद्र से इन बिलों को माफ करने का अनुरोध करेगी या इसमें रियायत मांगेगी।
इस बीच वित्त प्रेमचंद अग्रवाल ने भी सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन से बिलों के संबंध में जानकारी मांगी। बता दें कि एयर फोर्स ने पिछले दिनों मुख्य सचिव को पत्र भेजकर करीब 213 करोड़ रुपए के लंबित बिलों का भुगतान मांगा है।
वर्ष 2000 से लंबित ये बिल आपदा प्रबंधन विभाग और वन विभाग से संबंधित हैं। इधर, आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के मुताबिक बिलों का परीक्षण कराया जा रहा है। वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी इस संबंध में मीडियाकर्मियों से कहा कि बिल राशि काफी बड़ी है। केंद्र सरकार से इसे माफ करने अथवा रियायत देने का अनुरोध किया जाएगा।
इसके अलावा 52 करोड़ 60 लाख के 12 बिल 2013 की आपदा के हैं. 3 करोड़ 20 लाख के बिल वन विभाग के हैं. वन विभाग ने 2021 और 2024 में जंगलों की आग बुझाने के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों की मदद ली थी. बीते सालों में एयरफोर्स समय-समय पर राज्य सरकार को रिमाइंडर भेजता रहा, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया. नतीजा एयरफोर्स की उधारी अब 213 करोड़ रूपये से अधिक पहुंच गई.
सचिव (आपदा प्रबंधन) विनोद कुमार सुमन का कहना है कि सभी बिलों को वेरिफाई कराया जा रहा है. इस संबंध में जल्द ही सभी विभागों की मीटिंग भी बुलाई जा रही है, ताकि बिलों का हिसाब किताब क्लियर किया जा सके. ये एक पेचीदा मामला भी है, क्योंकि बिल 24 साल पुराने भी हैं.
उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन के लिए अपनाया सख्त रुख
देहरादून। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और उसका गैर-कानूनी उपयोग करने के मामलों में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में भू-कानून के उल्लंघन के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सबसे अधिक मामले देहरादून, नैनीताल और चमोली जिलों में दर्ज हुए हैं, जहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदकर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया है.
भू-कानून के उल्लंघन के सबसे अधिक 196 मामले देहरादून जिले में सामने आए हैं. पछवादून से लेकर मसूरी, रानीपोखरी, मालदेवता, शिमला बाईपास, भोगपुर और सहस्त्रधारा क्षेत्रों में बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी. इन जमीनों का उपयोग कृषि के बजाय होटलों, रिजॉर्ट्स और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया. जिला प्रशासन ने इन मामलों में एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज कर दिए हैं और संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.
समाज और पर्यावरण पर असर
बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग न केवल भू-कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय समाज और पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय है. पहाड़ी क्षेत्रों में रिजॉर्ट्स और होटलों के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके अलावा, स्थानीय निवासियों की आजीविका और पारंपरिक खेती पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.राज्य सरकार की यह कार्रवाई न केवल भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
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