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प्रादेशिक

दिल्ली पुलिस रखेगी पेड़ों पर नजर

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रजनीश सिंह

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में कुछ दिनों पहले आम आदमी पार्टी (आप) की रैली में राजस्थान के एक किसान ने पेड़ से लटककर खुदकुशी कर ली थी। अब दिल्ली पुलिस की निगाह राजधानी के पेड़ों, खासकर जंतर मंतर इलाके के पेड़ों पर है, ताकि भविष्य में प्रदर्शनों के दौरान इस तरह की घटनाएं दोबारा न होने पाएं।

ज्ञात हो कि बीते 22 अप्रैल को नरेंद्र मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ आप की रैली में राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह ने एक पेड़ से लटककर जान दे दी थी। 17वीं सदी में निर्मित दर्शनीय स्थल जंतर मंतर, जो राजधानी का विख्यात प्रदर्शन स्थल बन चुका है, वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को खास निर्देश दिए गए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सोमवार को विशेष निर्देश जारी किए गए, जब मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित यूथ कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान लगभग 50 साल उम्र का एक व्यक्ति पेड़ पर चढ़कर नारे लगाने लगा। अधिकारी ने बताया कि व्यक्ति को बलपूर्वक नीचे उतारा गया।

पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) विजय सिंह ने बताया कि जंतर मंतर पर तैनात पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदर्शनों के दौरान आसपास के पेड़ों पर विशेष रूप से निगाह रखें। सिंह ने कहा, “हमारा उद्देश्य राजस्थान के किसान द्वारा की गई आत्महत्या की पुनरावृत्ति रोकना है।” सिंह ने हालांकि कहा कि पेड़ों पर चढ़ने वाले लोगों पर निगाह रखने के लिए कोई विशेष दल गठित नहीं किया गया है, लेकिन मौके पर तैनात पुलिसकर्मी पेड़ों पर निगाह रखेंगे। यह पूछे जाने पर कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान किसी व्यक्ति को पेड़ पर चढ़ता देख पुलिस क्या कदम उठाएगी, सिंह ने बताया, “हमने अपने अधिकारियों से कहा है कि इसकी सूचना तत्काल संबंद्धित बचाव विभाग को दें, ताकि व्यक्ति को सुरक्षित पेड़ से नीचे उतारा जा सके।”

सिंह ने यह भी बताया कि पुलिस ने बचाव विभाग से आग्रह किया है कि जंतर मंतर पर आपातकालीन स्थिति के लिए अपना एक वाहन तैनात करें। गजेंद्र सिंह आत्महत्या मामले में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को जोर पकड़ता देख मामले के जल्द से जल्द निपटारे के लिए इसे अपराध शाखा को हस्तांतरित कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने मामले की एक प्राथमिकी भी दर्ज की है, जिसमें आप के समर्थकों और नेताओं पर किसान को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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