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उत्तर प्रदेश

आधुनिक जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट होगें प्रयागराज के सभी 22 अनटैप्ड नाले

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प्रयागराज में 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक दुनिया के सबसे बड़े मानवीय समागम महाकुम्भ-2025 का आयोजन होने जा रहा है। इसे लेकर प्रयागराज में तैयारियां अपने अंतिम दौर में हैं। सीएम योगी की प्रेरणा से इस बार महाकुम्भ को दिव्य-भव्य के साथ स्वस्थ और सुरक्षित महाकुम्भ बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है। इस दिशा में ही यूपी जल निगम, नगरीय ने प्रयागराज के सलोरी में जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है, जो शहर के सभी अनटैप्ड 22 नालों के अपशिष्ट जल का शोधन करेगा, ताकि सीएम के निर्देशों के मुताबिक गंगा नदी में कोई भी नाले का पानी बिना ट्रीट किए नहीं डाला जायेगा। इससे गंगा जी के जल को स्वच्छता के मानकों के अनुरूप निर्मल व अविरल बनाने में मदद मिलेगी।

सलोरी में 55 करोड़ रुपये की लागत से लगाया है ट्रीटमेंट प्लांट
महाकुम्भ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करने आते हैं। लेकिन, 2019 के पहले के माघ और कुम्भ मेलों में संगम के दूषित जल में स्नान करने के लिए उन्हें बाध्य होना पड़ता था। सीएम योगी के स्पष्ट निर्देशानुसार इस बार महाकुम्भ में किसी भी नाले या सीवेज से अनट्रीटेड अपशिष्ट जल का दूषित पानी पवित्र नदियों में नहीं गिराया जाएगा। उनके निर्देशों के मुताबिक जल निगम, नगरीय ने प्रयागराज के सभी अनटैपड 22 नालों के ट्रीटमेंट के लिए जियो ट्यूब तकनीकी आधारित ट्रीटमेंट प्लान, सलोरी में लगाया है। इसके बारे में बताते हुए अधिशासी अभियंता सौरभ कुमार ने बताया कि 55 करोड़ रुपये की लागत से बने इस ट्रीटमेंट प्लांट का अभी ट्रायल रन चल रहा है जो कि 01 जनवरी से अपनी पूरी क्षमता से कार्य करने लगेगा।

जियो ट्यूब तकनीक जलीय जीवन के संरक्षण में भी मददगार
जल निगम, नगरीय के अधिशासी अभियंता सौरभ कुमार ने बताया कि जियो ट्यूब तकनीकि सीवेज वाटर ट्रीटमेंट की आधुनिक तकनीक है। इसमें सीवेज वाटर की 40 से 50 फीसदी बीओडी लेवल और लगभग 80 प्रतिशत टीएसएस जियो ट्यूब्स में ही ट्रीट कर लिया जाता है। इसके बाद इस ट्रीटेड पानी को हाइड्रोजन पैरॉक्साइड से शोधित कर उसका ओजोनाइजेशन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीनाइजेशन की जगह ओजोनाइजेशन किया जाता है क्योंकि ट्रीटेड पानी में अधिक मात्रा में घुला क्लोरीन जलीय जीवों के लिए नुकसानदेह होता है। ओजोनाइजेशन से सभी तरह के फीकल बैकटीरिया मर जाते हैं, फिर इस ट्रीटेड वॉटर को नदियों में छोड़ा जा सकता है। इसकी चौबीसों घंटे ओसीईएमएस तकनीकि से आनलाईन मॉनिटरिंग होती रहती है। सीएम योगी ने 12 दिसंबर के अपने प्रयागराज दौरे पर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया था और महाकुम्भ के दौरान किसी भी तरह की समस्या उत्पन्न न होने के निर्देश भी दिये थे।

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उत्तर प्रदेश

अपराधों पर सजा दिलाने में योगी सरकार अव्वल

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लखनऊ: यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष द्वारा महिला हिंसा और उत्पीड़न के मुद्दे पर गलत आंकड़े पेश करने पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था सबसे मजबूत हुई है। पिछले साढ़े सात वर्षों में यूपी में महिला समेत हर प्रकार के अपराध में गिरावट दर्ज की गई है। अपराधियों को सजा दिलाने में भी प्रदेश सरकार सबसे ज्यादा सफल हुई है। उन्होंने विपक्ष के सवालों को जवाब देते हुए कहा कि 1 जनवरी 2024 से 30 नवंबर के बीच 1090 वीमेन पावर लाइन पर 4,18,504 शिकायतें दर्ज की गईं। इसमें 4 लाख 9 हजार 912 शिकायतों का निस्तारण किया गया। इसका रेश्यो 97.95 प्रतिशत है। वहीं पेंडिंग 8,592 मामलों के निस्तारण के लिए कार्रवाई की जा रही है।

दहेज मृत्यु के मामलों में गिरावट

कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि दहेज मृत्यु के मामले में भी लगातार कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2017 में 2524 मामले सामने आए थे। 1 जनवरी 2024 से 31 अक्टूबर तक इस पर 1418 केस दर्ज किए गए। वर्ष 2023 में दहेज मृत्यु की 2061 घटनाएं दर्ज की गईं। उन्होंने कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने की बात है तो सरकार ने जितनी तेजी से प्रॉसिक्यूशन को मजबूत करते हुए कन्विक्शन कराया है। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार के इतिहास में किसी की सरकार ने नहीं किया।

अपराधों पर सजा दिलाने में योगी सरकार अव्वल

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में 2017 में 415 लोगों को सजा हुई। वहीं 2018 में 631 लोगों को सजा हुई। वर्ष 2019 में 665 और 2020 में 535 और 2021 में 1230, 2022 में 2313 और 2023 में 2841 और अभी इस वर्ष 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक 2440 लोगों को सजा दिलाने में सफलता हासिल की गई। स्पेशल अभियान चलाकर 1 जुलाई 2023 से लेकर 11 दिसंबर 2024 तक 48 मृत्युदंड दिए गए। इसी अवधि में 6065 मामलों में आजीवन कारावास, 1046 मामलों में 20 वर्ष और उससे अधिक सजा, 73 मामलों में 15 से 19 वर्ष की सजा, 3610 मामलों में 10 से 14 वर्ष की सजा, 5564 मामलों में 5 से 9 वर्ष की सजा और 22298 मामलों में पांच वर्ष से कम की सजा दिलाने में सफलता मिली।

दुष्कर्म के मामले में तेजी से हो रही कार्रवाई

सुरेश खन्ना ने कहा कि जब से भारतीय न्याय संहिता आई, इसमें 1 जुलाई से लेकर 12 दिसंबर तक 29 लोगों को सजा हुई है। सुरेश खन्ना ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक वर्ष 2022 तक की रिपोर्ट उपलब्ध है, उसके मुताबिक हर क्षेत्र में महिलाओं से संबंधित अपराध में गिरावट दर्ज की गई है। दुष्कर्म के मामले में पूरे देश में यूपी का 24वां स्थान है। इस तरह देश के 23 राज्य यूपी से आगे हैं। सुरेश खन्ना ने कहा कि धारा-354 के मामले में यूपी का 17वां स्थान है। इसके अतिरिक्त हत्या के मामलों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2024 से लेकर 30 नवंबर 2024 तक 245 मामले दर्ज किए गए। वहीं 2022 में 175, 2023 में 141 और 2024 में अभी तक 126 मामले दर्ज किए गए। इसमें 48.57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह महिलाओं के विरुद्ध दहेज मृत्यु में 16.68 प्रतिशत की कमी आई है। दुष्कर्म में 25.34 प्रतिशत, शीलभंग में 14.31 फीसदी की कमी आई है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के क्राइम में उत्तर प्रदेश से 19 राज्य ऊपर हैं।

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