प्रादेशिक
आप के संसदीय सचिवों के खिलाफ सुनवाई करेगा हाईकोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने के कदम के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई 20 मई को होगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी एवं न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई 20 मई को होगी।
गैर सरकारी संस्था राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की ओर से दायर जनहित याचिका में आप के विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए गए हैं और न्यायालय से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्र सरकार और संसदीय सचिव नियुक्त किए गए आप विधायकों के खिलाफ दायर की गई इस जनहित याचिका में संविधान के प्रावधानों और दिल्ली सरकार के शासन नियमों के आधार पर इन नियुक्तियों की वैधता पर सवाल उठाते हुए न्यायालय से इन्हें रद्द करने का आग्रह किया गया है।
केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद आप के 21 विधायकों को सरकारी मंत्रालयों से जुड़े संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने के आदेश जारी किए थे। सरकार ने कहा है कि इससे काम में आसानी होगी, लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि उन्हें इस पद या काम के लिए सरकार की ओर से वेतन या विशेष सुविधाएं नहीं दी जाएंगी।
आदेश में हालांकि यह कहा गया था कि इन सचिवों को सरकारी कामों के लिए सरकारी वाहनों के इस्तेमाल की अनुमति होगी और मंत्री के कार्यालय के पास कमरा भी दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि ये नियुक्तियां असंवैधानिक, गैरकानूनी और अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, इसलिए 13 अप्रैल को जारी किया गया यह आदेश रद्द किया जाना चाहिए। केजरीवाल द्वारा संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों में प्रवीण कुमार (शिक्षा), शरद कुमार (राजस्व), आदर्श शास्त्री (सूचना प्रौद्योगिकी), मदन लाल (सतर्कता), चरण गोयल (वित्त), संजीव झा (यातायात), सरिता सिंह (रोजगार), नरेश यादव (श्रम), जरनैल सिंह (विकास), राजेश गुप्ता (स्वास्थ्य) शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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