लाइफ स्टाइल
खराब आदतों से निजात दिलाएंगे ये नुस्खे
लंदन। बुरी लत को छोड़ना मुश्किल बेशक होता है, लेकिन यदि कोई इस काम में आपकी मदद करे, तो यह संभव हो सकता है। हिप्नोथेरेपिस्ट एवं न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (एनएलपी) विशेषज्ञ एवं डॉक्टर जैसमीन पिरन ने यहां कुछ नुस्खे और तरीके साझा किए हैं, जो बुरी लत से निजात दिलाने में मददगार हो सकते हैं-
– एक दिन तय करें, जबसे आप अपने व्यवहार में बदलाव लाने की शुरुआत करना चाहते हैं। कई लोग नए काम की शुरुआत के लिए सोमवार, या जन्मदिन, या साल का पहला दिन चुनते हैं, लेकिन दिन का चुनाव करते हुए यह ध्यान रखिए कि इस दिन आप बिना बाधा वास्तव में शुरुआत कर सकें।
-इस बात पर गंभीरता से विचार करें कि अपनी योजना के बारे में किसे साझेदार बनाना चाहते हैं। कुछ लोग अपनी योजना में दूसरों को साझीदार बनाने को लक्ष्य के लिए फायदेमंद मानते हैं, जबकि कुछ लोगों को यह अतिरिक्त दबाव और तनाव लगता है। अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आप एक चुनाव कर सकते हैं।
-एक सूची बनाएं जिसमें उन सकारात्मक कारणों का जिक्र करें, जिनके लिए आप अपने व्यवहार को बदलना चाहते हैं और इस सूची को हमेशा अपने पास रखें। जब भी लगे कि आप लक्ष्य से भटक रहे हैं, इस सूची पर एक नजर डालें और खुद को याद दिलाएं कि इससे आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।
-खुद के प्रति दयालु और सहनशील बनें। प्रतिदिन की छोटी-छोटी आदतें आपके जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। हर एक छोटी कामयाबी के लिए खुद को शाबासी दें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद को पूरा समय दें।
-खाली समय में विचार करें और अपने व्यवहार की भावुकता को समझें। इस बात पर ध्यान दें कि आप किन परिस्थितियों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और इसके क्या परिणाम सामने आते हैं। अपनी जिंदगी और आसपास के लोगों की अपने बारे में और विशेष परिस्थितियों में दी जाने वाली प्रतिक्रियाओं को समझने का प्रयास करें।
-लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास में हर कोशिश के परिणाम पर हमेशा नजर बनाए रखें, ताकि आपको अपने अनुभवों और उपलब्धि के बारे में स्पष्ट रूप से पता हो। इससे आपको पता चलेगा कि आप अपने प्रयास में कहां तक सफल हुए हैं, कितनी बाधाएं पार की हैं। इस बात पर भी ध्यान दें कि भविष्य में ऐसी कितनी परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना आपको करना है।
-अपनी उपलब्धियों के लिए खुद को पुरस्कृत करें और चुनौतियों के समय इन पुरस्कारों को याद करें। यदि आप बुरी लत से अपना ध्यान लाख कोशिशों के बावजूद नहीं हटा पा रहे हो, तो खुद रुपये खर्च कर घूमने जाएं या पार्टी करें इससे आपको ध्यान बंटाने में मदद मिलेगी।
-पसंद का कोई नया काम शुरू करें, इसे बरकरार रखें और आप देखेंगे कि हर दिन के साथ सब कुछ आसान और बेहतर होता जाएगा।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
-
लाइफ स्टाइल8 hours ago
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
-
ऑफ़बीट2 days ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
नेशनल3 days ago
आज शाम दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय जाएंगे पीएम मोदी, कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
-
नेशनल3 days ago
संजय राउत को महाराष्ट्र के नतीजे मंजूर नहीं, कहा- ये कैसा लोकतंत्र है, प्रदेश की जनता के साथ हुई बेईमानी
-
खेल-कूद2 days ago
IND VS AUS : दूसरी पारी में मजबूत स्थिति में भारत, केएल राहुल और यशस्वी ने जड़ा अर्धशतक
-
नेशनल3 days ago
महाराष्ट्र के रुझानों में महायुति को प्रचंड बहुमत, MVA को तगड़ा झटका
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार