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उत्तर प्रदेश

मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं प्रयागराज के तीर्थपुरोहित प्रयागवाल

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महाकुम्भनगर। तीर्थराज प्रयागराज का नाम आते ही हमारी स्मृति में त्रिवेणी संगम और महाकुम्भ का नाम आता है। लेकिन प्रयागराज के संगम तट और महाकुम्भ की पंरपरा से अविच्छिन्न रूप से जुड़े हुये हैं यहां के तीर्थपुरोहित। प्रयागराज के तीर्थपुरोहित जिन्हें प्रयागवाल या स्थानीय बोली में पंडा भी कहा जाता है। मोक्षदायक तीर्थराज प्रयाग में मृत्यु से मुक्ति का मार्ग, यहां के तीर्थपुरोहित प्रयागवाल ही दिखाते हैं। सनातन परंपरा और पौराणिक मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद पितरों की मुक्ति संगम क्षेत्र में अस्थि पूजन और पिण्ड दान के बाद ही होती है। सनातन परंपरा प्रयागराज के संगम तट पर पूजन-अर्चन का अधिकार यहां के तीर्थपुरोहित प्रयागवालों को ही प्रदान करती है। प्राचीन काल से संगम तट पर पूजन करवाने और माघ तथा महाकुम्भ मेले में श्रद्धालुओं को कल्पवास करवाने का कार्य प्रयागवाल तीर्थपुरोहित ही करते आ रहे हैं।

संगम क्षेत्र में पिण्ड दान और अस्थि पूजन करवाने के अधिकारी हैं तीर्थ पुरोहित प्रयागवाल
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान-दान और महाकुम्भ के आयोजन का इतिहास बहुत प्राचीन है। प्रयागराज को सनातन परंपरा में सभी तीर्थों में श्रेष्ठ तीर्थराज कहा गया है। प्रयागराज को पौराणिक मान्यता अनुसार मोक्षदायनी सप्तपुरियों का राजा माना गया है। प्रयागराज में अस्थिदान और पिण्डदान पूजन का विशेष महात्म हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है। मृतक पूर्वजों के बिना अस्थि पूजन और पिण्डदान के पितरों को मुक्ति नहीं मिलती। प्रजापत्य व्यवस्था के अनुरूप प्रयागराज के संगम क्षेत्र में अस्थि पूजन और पिण्डदान करवाने का अधिकार प्रयागवाल तीर्थपुरोहितों का ही है। तीर्थपुरोहितों की परंपरा के बारे में बताते हुए संगम क्षेत्र के तीर्थपुरोहित राजेश्वर गुरु बताते हैं कि वर्षों से चली आ रही परंपरा और आपसी सहमति के आधार पर तीर्थ पुरोहितों के घाट और क्षेत्रवार यजमान भी बंटे हुए हैं। अपने क्षेत्र के यजमानों के पितरों का अस्थि पूजन, पिण्ड दान उनके तीर्थपुरोहित ही करवाते हैं। पहले प्रयाग फिर काशी और अंतिम तौर पर गया में पिण्डदान का पूजन होता है। उन्होंने बताया कि प्रभु श्रीराम ने भी लंका से लौटकर अपने पिता महाराज दशरथ का पिण्डदान गया में किया था। यहां यजमान वर्षभर विशेषतौर पर पितृ पक्ष में अपने पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण और पूजन करने आते हैं।

झण्डा और निशान से होती है संगम क्षेत्र में तीर्थ पुरोहितों की पहचान
तीर्थपुरोहित राजेश्वर गुरु बताते हैं कि सभी तीर्थपुरोहित अपने यजमानों का वंशवार लेखा-जोखा अपनी बही में लिख कर रखते हैं। तीर्थपुरोहितों की इन बही खातों में हमारी कई पीढ़ी के पूर्वजों का विवरण दर्ज होता है। उन्होंने बताया कि पहचान की सुविधा के लिए तीर्थपुरोहित अलग-अलग झण्डा और निशान पीढ़ी दर पीढ़ी से अपनाते चले आ रहे हैं। उनके यजमान इन झण्डों और निशानों से ही उन्हें पहचानते हैं। कोई दो तुमड़ी वाले पंडा हैं तो कोई टेढ़ी नीम वाले, कोई कटार वाले पंड़ा हैं तो कोई सेहरी वाले पंड़ा। तीर्थपुरोहितों के ये झण्डें संगम आने वाले श्रद्धालुओं को दूर से ही दिखने लगते हैं। प्रयागराज के तीर्थपुरोहित प्रयागवाल गंगा पूजन, स्नान-दान, गऊदान, वेणीदान, पिण्डदान, अस्थि पूजन, मुण्डन तथा कल्पवास आदि सभी तरह के पूजा-पाठ करवाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों से चली आ रही सनातन पंरपरा के अनुरूप संगम क्षेत्र में माघ मेले, कुम्भ और महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को कल्पवास करवाने का कार्य तीर्थपुरोहित प्रयागवाल ही करते आ रहे हैं। संगम क्षेत्र में टेंट आदि की व्यवस्था करके अपने यजमानों के कल्पवास के व्रत और संकल्प को पूरा करवाते हैं।

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उत्तर प्रदेश

अटल शताब्दी समारोह मनाएगी योगी सरकार, 19 से 25 दिसंबर तक चलेगा समारोह

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लखनऊ |  योगी सरकार पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म शताब्दी समारोह मनाएगी। इस उपलक्ष्य में 19 से 25 दिसंबर तक धूमधाम से अनेक आयोजन किए जाएंगे। संस्कृति विभाग व उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले शताब्दी समारोह का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी में करेंगे। समारोह में प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, काव्य पाठ समेत अनेक आयोजन भी होंगे। इन आयोजनों के विजेताओं को 25 दिसंबर को सम्मानित भी किया जाएगा।

अटल जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर लगेगी प्रदर्शनी, होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम

शताब्दी समारोह में उप्र. राजकीय अभिलेखाकार व राज्य ललित कला एकेडमी की तरफ से प्रदर्शनी लगाए जाएंगे। ललित कला एकेडमी की निदेशक डॉ. श्रद्धा शुक्ला ने बताया कि प्रदर्शनी में अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं (आदर्श कवि, आलोचक, कुशल प्रशासक, आदर्श राजनेता, दृढ़ प्रधानमंत्री) को दर्शाया जाएगा। इसका उद्देश्य वर्तमान व भावी पीढ़ी को अटल जी के व्यक्तित्व से प्रेरित करना है। इसमें प्रदेश के कई जनपदों के कलाकारों द्वारा लगभग 30-35 से अधिक पेंटिंग लगाई जाएगी।

उत्तर प्रदेश के साथ कई राज्यों के मध्य होगा एमओयू

‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के तहत उत्तर प्रदेश का कई राज्यों के साथ एमओयू होगा। मेजबान उत्तर प्रदेश के साथ मणिपुर, बिहार व छत्तीसगढ़ का एमओयू होगा। इन राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा। वहीं संगीत नाटक अकादमी में उप्र के सूचना विभाग की तरफ से भी सुशासन पर प्रदर्शनी लगेगी। पूरे सप्ताह तक अनेक सांस्कृतिक गतिविधियां भी चलेंगी। कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम व काव्य पाठ प्रतियोगिताएं भी चलेंगी।

अटल जी के 100वें जन्मदिवस पर प्रतिभाओं का होगा सम्मान

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकभवन स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि करेंगे। लोकभवन में भी सुशासन दिवस पर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी पर आधारित प्रदर्शनी भी लगेगी। एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों के विजेताओं को श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के 100वें जन्मदिवस पर लोकभवन में सम्मानित भी किया जाएगा। एक सप्ताह तक चलने वाले इन आयोजनों की तैयारी पूर्ण कर ली गई है। यह कार्यक्रम योगी सरकार धूमधाम से मनाएगी।

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