प्रादेशिक
झीरम घाटी : कई रहस्य अभी भी बरकरार
रायपुर। दो साल पहले 25 मई, 2013 को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने देश के सबसे बड़े नरसंहार को अंजाम दिया था। आज दो साल बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है। हालांकि नरसंहार के बाद एनआईए और न्यायिक जांच तो शुरू कर दी गई, लेकिन अभी भी कई रहस्य बरकरार हैं। 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में 25 गाड़ियों से निकले 200 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर 300 से अधिक माओवादियों ने हमला किया था, जिसमें मारे गए 32 लोगों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल और योगेंद्र शर्मा आदि शामिल थे। वहीं 38 लोग घायल हो गए थे।
इस नरसंहार के बाद झीरम घाटी की घटना के लिए सरकार ने जांच आयोग का गठन किया था। इसके नोडल अधिकारी आईपीएस दिपांशु काबरा बनाए गए थे। उन्होंने 200 पन्नों के दस्तावेज के साथ 8-10 गवाहों के नाम भी जांच आयोग के सामने रखे थे। अभी तक 50 लोगों की गवाही के बाद एक ही बात सामने आ रही है कि सुरक्षा में चूक के चलते यह वारदात हुई थी।
झीरम घाटी हमले में जांच के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी और तीन महीने के समय सीमा तय की थी पर अभी तक सुनवाई चल रही है।
इधर, एनआईए ने झीरम हमले के जांच की जिम्मेदारी केरल कैडर के आईपीएस संजय कुमार को दी थी, पर पहली चार्जशीट प्रस्तुत करने के बाद ही उन्होंने एनआईए छोड़ दिया। उसके बाद लखनऊ एनआईए ब्रांच के प्रमुख सुधांशु सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन अभी भी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
एनआईए ने अब तक इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ओड़िशा के मलकानगिरि में भी इस घटना में शामिल 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, पर अभी भी घटना का रहस्य बरकरार है।
खास बात यह कि नक्सलियों के प्रवक्ता गुडसा उसेंडी से भी झीरम घाटी के मामले में अभी तक कोई खास बात उगलवाई नहीं जा सकी है। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश को घटनास्थल से दूर ले जाकर गोली मारने, विद्याचरण शुक्ल की क्रास फायरिंग में मौत, कुछ लोगों को नक्सलियों द्वारा छोड़ देना भी अभी तक अनसुलझा है। वैसे अभी तक झीरम घाटी घटना को अंजाम देने वाले मास्टर माइंड तीन प्रमुख नक्सली गिरफ्त से बाहर हैं।
25 मई को झीरम घाटी की बरसी पर दिवंगत कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के पुत्र ने सलवा जुडूम-2 आंदोलन से तो अपना हाथ खींच लिया है, पर बस्तर जिले के धुर नक्सल इलाके से सटे गांव में एक बैठक लेकर नक्सलियों के विरुद्ध जनांदोलन का ऐलान कर दिया है। बस्तर के दरभा और कोलेंग से लगे गांव नवागुड़ा, काकरवाड़ा, बड़ेगोदेल, तोड़ापाल, चुरेंद्रवाड़ा और बीरमपाल के ग्रामीणों ने एक ग्रामसभा का आयोजन किया था, जिसमें करीब 1000 से अधिक ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।
इस सभा में एडिशनल एसपी विजय पांडे ने भी शिरकत की और हर तरह की मदद करने का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने गांवों को नक्सल मुक्त करने का प्रण लिया है और पुलिस से भी सहयोग मांगा है।
उत्तर प्रदेश
संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद
संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।
इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।
इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।
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