लाइफ स्टाइल
तपती गर्मियों में सही कपड़ों का करें चुनाव
नई दिल्ली। चिलचिलाती गर्मी में आग बरसाते सूरज को मात देने के लिए अपनी अलमारी में सही कपड़ों को चुनने के लिए मशक्कत कर रही हैं? रोजाना पहनने वाली जींस एवं टॉप को दरकिनार करें। मैक्सी ड्रेस एवं क्रॉप टॉप चुनें और स्टाइल के साथ गर्मी को मात दें। अगर आपको धूप से बचने के लिए छाता या स्कार्फ लेकर चलना पसंद नहीं है, तो आकर्षक टोपी एवं धूप का चश्मा अपनाएं।
‘ईबे इंडिया’ के रिटेल एवं लाइफस्टाइल मामलों के प्रमुख नवीन मिस्त्री ने गर्मियों के लिहाज से ऐसे ही कुछ उपयोगी सुझाव व विकल्प दिए हैं।
-गर्मी में पहने जाने वाली मैक्सी ड्रेस : गर्मी में लंबी, हवादार और खुली-खुली मैक्सी ड्रेस एकदम वाजिब होती हैं। इनमें भी चटख रंगों एवं बेल-बूटे के छापे वाली मैक्सी चुनें। ये आपकी सौम्य के साथ ही खूबसूरत दिखने में मदद करेंगी।
-टोपी का चलन : सूरज की तपिश से बालों एवं त्वचा को बचाने के लिए स्कार्फ ढकना अब चलन में नहीं है। इन गर्मियों में टोपी अपनाएं।
-फैशनेबल चश्मे : इस गर्मी बाजार में फैशनेबल चश्मों की भरमार है। तो आपको किसका इंतजार है? अगर आप घर में या बाहर पार्टी करने वाली हैं, तो पीले ग्लास वाला चश्मा एकदम कूल लगेगा।
-बैग बेहद जरूरी : महिलाओं एवं बैग का चोली-दामन का साथ है। बैग न केवल व्यक्तित्व में चार चांद लगाने के लिए जरूरी हैं, बल्कि एक अहम जरूरत भी होते हैं। इन गर्मियों में मजबूत प्लास्टिक वाला बैग लें, जिस पर छोटे-छोट छापे हों।
-क्रॉप टॉप : ये टॉप अभी भी चलन में हैं। ये खूबसूरत व आरामदायक हैं। इन्हें जींस, शॉर्ट्स या स्कर्ट के साथ आसानी से पहना जा सकता है।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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